'फिर तो उन्हें जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट आना चाहिए...': जस्टिस एमएम सुंदरेश ने वकीलों को जस्टिस शिवगणनम के बारे में बताते हुए कहा

Update: 2023-06-05 09:50 GMT

मद्रास बार एसोसिएशन द्वारा मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जज एसवी गंगापुरवाला और कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जज टीएस शिवगणनाम को सम्मानित करने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमएम सुंदरेश ने कहा कि जस्टिस शिवगणनम को कलकत्ता से बार से उनके काम के लिए बहुत सराहना मिली है।

जस्टिस सुंदरेश ने एक घटना का जिक्र किया, जहां वह सुप्रीम कोर्ट में वकीलों से जस्टिस शिवगणनम के बारे में बात कर रहे थे।

उन्होंने कहा,

"हर रोज सुबह अदालत के समय हम लाउंज में मिलते थे। मैंने सुप्रीम कोर्ट में कलकत्ता से आने वाले अपने कुछ सहयोगियों से पूछा कि जस्टिस शिवगणनम कैसे काम करते हैं और उनमें से एक ने दो बातें कही। पहली यह है कि हाल के दिनों में कलकत्ता हाईकोर्ट को सुशोभित करने वाले सभी चीफ जस्टिस में वह सबसे अच्छे हैं। यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। दूसरी, यह थी कि मैं चाहता हूं कि वह यहां लंबे समय तक बने रहें। मैंने उनसे कहा कि मैं इससे सहमत नहीं हूं। अगर वह इतने अच्छे हैं तो मुझे लगता है कि आपको कहना चाहिए कि उन्हें जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट आने का अधिकार होना चाहिए।'

जस्टिस गंगापुरवाला का मद्रास हाईकोर्ट में स्वागत करते हुए जस्टिस सुंदरेश ने कहा कि राज्य अपने आतिथ्य के लिए जाना जाता है और बिना किसी हिचक के जस्टिस गंगापुरवाला को गले लगाएगा।

उन्होंने कहा,

"यह स्थान अपने आतिथ्य के लिए जाना जाता है। जो भी आता है, हम उसे बिना किसी रोक-टोक के गले लगाते हैं। अंडाल द्वारा एक सुंदर कहावत है, जिसका अर्थ है कि अच्छे व्यक्ति के लिए, वह जहां भी जाता है, उसका स्थान बन जाता है। आप उत्कृष्ट खिलाड़ी हैं। कई आपमें से शायद नहीं जानते होंगे, लेकिन वह राष्ट्रीय स्तर के टेनिस खिलाड़ी और मुझे इस खेल को देखने का भी सौभाग्य मिला है।"

जस्टिस गंगापुरवाला ने कहा कि अदालत में कोई भी प्रक्रियात्मक बदलाव बार के सदस्यों से परामर्श के बाद ही किया जाएगा और उनकी शिकायतों को उठाने के लिए उनका हमेशा स्वागत है।

जस्टिस शिवगणनम ने कहा कि ट्रांसफर सर्विस की शर्त है और कॉलेजियम के आदेशों का पालन करना संस्था के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना है।

उन्होंने कहा,

"जैसा कि कहा जाता है, ट्रांसफर सर्विस की एक शर्त है, सेवा की घटना है। जिस कॉलेजियम ने सोचा कि मैं हाईकोर्ट का जज बनने के लिए उपयुक्त उम्मीदवार हूं, उसने मेरे नाम की सिफारिश की और मैं 2019 में जज बन गया। वही कॉलेजियम ने सोचा कि मुझे यह जगह छोड़कर कलकत्ता जाना चाहिए। मैंने आदेशों का पालन किया। इससे मेरा मतलब संस्था को सम्मान देना, सिस्टम को सम्मान देना है। अगर हम सिस्टम का सम्मान नहीं करते हैं तो सिस्टम निश्चित रूप से हमारा समर्थन नहीं करेगा। यह हमें विफल कर देगा।"

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