'न्यायालय अनुपालन करवाने के लिए घर-घर नहीं जाएगा': जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने दो सीनियर सरकारी अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया
Jammu & Kashmir High Court Issues Contempt Notices
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने 2016 में जम्मू-कश्मीर ग्रामीण विकास विभाग में दैनिक कर्मचारी के पक्ष में पारित अपने नियमितीकरण आदेश की प्रथम दृष्टया जानबूझकर जारी अवमानना के लिए यूटी के दो सीनियर अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया। कोर्ट ने अवमानना नोटिस जारी करते हुए कहा कि न्यायालय अपने आदेशों का अनुपालन करवाने के लिए घर-घर नहीं जाएगा।
जस्टिस राहुल भारती ने कहा,
“यह न्यायालय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एंड कश्मीर से उसके निर्देशों/रिटों का अनुपालन करवाने के लिए घर घर नहीं जाएगा।
इस मामले में याचिकाकर्ता ने 7 साल से अधिक समय तक सेवा करने के बाद अपनी सेवा को नियमित करने की मांग की। 15 दिसंबर, 2016 के फैसले में रिट अदालत ने उसके दावे के खिलाफ उत्तरदाताओं की याचिका खारिज कर दी और उसे याचिकाकर्ता को 7 साल की सेवा पूरी करने की तारीख से, यानी 1 अक्टूबर, 1994 से नियमित करने के लिए उचित आदेश पारित करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट के समक्ष लेटर्स पेटेंट अपील और बाद में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विशेष अनुमति याचिका के माध्यम से इस फैसले को चुनौती देने के उत्तरदाताओं के प्रयास विफल रहे, जिससे रिट अदालत के फैसले को अंतिम रूप दिया गया।
इसके बावजूद, न्यायिक आदेशों का अनुपालन न होने पर याचिकाकर्ता ने दिसंबर, 2020 में अवमानना याचिका दायर की। मामले में अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने बयान दायर किया, जिसमें याचिकाकर्ता की सेवा को नियमित करने के लिए सक्षमता की कमी का संकेत दिया गया।
न्यायालय ने सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव द्वारा जारी पत्र पर भी गौर किया, जिसका लहजा और आशय यह है कि ग्रामीण विकास विभाग न्यायालय के निर्देशों को लागू करने में असमर्थता व्यक्त करेगा।
जस्टिस भारती ने इस रुख पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा,
“ऐसा लगता है कि आयुक्त/सचिव, सरकार, ग्रामीण विकास विभाग और पंचायती राज, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के सरकार के आयुक्त/सचिव की स्थिति के बारे में गलतफहमी है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार अपने व्यावसायिक नियमों के संदर्भ में अपने संबंधित प्रशासनिक विभागों के माध्यम से कार्य करती है, जिनका नेतृत्व आयुक्त/सचिव करते हैं और उस संदर्भ में मनदीप कौर (आईएएस) आयुक्त/सचिव ग्रामीण विकास विभाग एवं पंचायती राज का बयान केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार की पंक्तियों के बीच में पढ़ा जाता है। केंद्रशासित प्रदेश जम्मू एंड कश्मीर इस न्यायालय को बता रहा है कि केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर सरकार याचिकाकर्ता की सेवा को नियमित करने में सक्षम नहीं है।”
तदनुसार, न्यायालय ने सामान्य प्रशासन विभाग के उप सचिव और ग्रामीण विकास विभाग के सचिव दोनों को यह बताने का निर्देश दिया कि अदालत के निर्देशों का जानबूझकर पालन न करने के लिए उन्हें दंडित क्यों न किया जाए।
कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 11 सितंबर 2023 की तारीख तय की और दोनों अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया।
केस टाइटल: वंदना गुप्ता बनाम शीतल नंदा सचिव, ग्रामीण देव. विभाग और अन्य.
याचिकाकर्ता के वकील: विवेक शर्मा
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