'सड़क पर चलते हुए लोगों में संक्रमण को संभालना असंभव होगा' : जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने श्राइन बोर्ड, सरकार को इस वर्ष की अमरनाथ यात्रा पर शीघ्र निर्णय लेने को कहा

Update: 2020-07-17 02:30 GMT

जम्मू और कश्मीर हाईकोर्ट ने मंगलवार को श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड और यूटी सरकार को अमरनाथ यात्रा के बारे में 13 जुलाई को शीर्ष अदालत के फ़ैसले के मुताबिक़ तत्काल फ़ैसला लेने को कहा है। अदालत ने सभी संगत मुद्दों को इस क्रम में ध्यान रखने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति संजय धर की पीठ ने कहा है कि इस यात्रा के बारे में सभी दृष्टिकोणों से ग़ौर करने के क्रम में लोगों के स्वास्थ्य के अधिकार को सबसे ऊपर रखा जाना है।

कोर्ट ने कहा है कि ऐसे किसी भी फ़ैसले में सुरक्षकर्मियों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुजारियों, यात्रियों और यात्रा के प्रबंध में शामिल लोगों और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एवं कश्मीर के आम लोगों की स्वास्थ्य की चिंताओं पर अवश्य ही ग़ौर किया जाना चाहिए।

बोर्ड को कहा गया है कि वह सभी लोगों के कल्याण की चिंता करे, विशेषकर बक्करवाल समुदाय की जिसके लोग इस यात्रा के लिए सामान ढोने वाले लोगों/पिट्ठू, पालकी, घोड़े और खच्चर की व्यवस्था करते हैं।

पीठ ने कहा,

"महामारी के बिना भी किसी समय यात्रा के इस मार्ग पर जाना बहुत बड़ी चुनौती होती है। यहां तक कि सक्षम और स्वस्थ लोगों के लिए भी यह चुनौती होती है। ऐसा लगता है कि सड़क पर जा रहे लोगों में संक्रमण से निपटना असंभव होगा। प्रतिवादियों ने खुद ही उन मुश्किलों का ज़िक्र किया है…।"

सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले हुई सुनवाई में इस यात्रा पर प्रतिबंध लगाने से मना कर दिया था और कहा था कि स्थानीय प्रशासन इस बारे में बेहतर फ़ैसला ले सकता है।

हाईकोर्ट में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने गत माह उड़ीसा में जगन्नाथ यात्रा की भी अनुमति दे दी थी पर खंडपीठ ने कहा कि दोनों यात्राओं में काफ़ी ज़्यादा अंतर है। पूरी की यात्रा मुख्य शहर में होने वाली थी जबकि श्री अमरनाथ यात्रा बहुत ही दुर्गम मार्ग पर होगी जो कि बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है।

हाईकोर्ट ने कहा,

"…यद्यपि भगवान जगन्नाथ यात्रा की अनुमति दी गई थी पर आम लोगों को इसमें शरीक होने की अनुमति नहीं दी गई थी और शहर में कर्फ़्यू को कठोरता से लागू किया गया था। यह यात्रा केवल एक दिन के लिए थी जबकि अमरनाथ यात्रा में देश भर के लोग अनंतनाग ज़िले में कुछ अवधि के लिए शामिल होते हैं। फिर सुरक्षा, सुविधाओं का अभाव, भौगोलिक एवं स्थलाकृति के कारणों से समस्याएं ऐसी हैं जो उड़ीसा में नहीं हो सकतीं।"

फिर, पीठ ने कहा कि जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने खुद ही यात्रा के आयोजन में वर्तमान चिकित्सा व्यवस्था की कई सारी सीमाओं के बारे में बताया है।

पीठ ने कहा,

"अगर पर्याप्त सुविधाएं जुटा भी ली जाएं तो भी सरकार ने किसी संदिग्ध COVID-19 संक्रमित व्यक्ति को अलग-थलग करने में पेश आनेवाली बड़ी चुनौती का ज़िक्र किया है। आइसोलेशन की सुविधा ही नहीं, चिकित्सा की सुविधा भी इस यात्रा के पूरे मार्ग पर उपलब्ध करानी होगी।"

पीठ का ध्यान विभिन्न स्तरों पर इस यात्रा के प्रबंध में शामिल लोगों के स्वास्थ्य को उस स्थिति में होने वाले ख़तरे की आशंका की ओर खींचा गया अगर कोरोना से संक्रमित कोई व्यक्ति यह नहीं जानते हुए कि वह संक्रमित है, इस यात्रा में शामिल हुआ पाया गया।

आदेश की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें


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