क्या मदरसों और अन्य धार्मिक शैक्षणिक संस्थानों को राज्य का अनुदान संविधान की धर्मनिरपेक्ष योजना के अनुरूप है? इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सरकार से जवाब मांगा

Update: 2021-09-01 12:38 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मदरसा जैसे धार्मिक शिक्षण संस्थानों, संविधान के ढांचे के भीतर राज्य सरकार और ऐसे संस्थानों के बीच की भूमिका और परस्पर क्रिया संबंधित मुद्दों पर उसके द्वारा तैयार किए गए प्रश्नों के एक समूह पर विचार करने का निर्णय लिया।

जस्टिस अजय भनोट की पीठ मदरसा बोर्ड द्वारा विधिवत मान्यता प्राप्त और राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त एक मदरसे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए शिक्षकों के अतिरिक्त पदों के सृजन की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ता ने अतिरिक्त पदों के सृजन के लिए अभ्यावेदन/आवेदन को खारिज करने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को चुनौती दी थी।

अदालत ने मामले पर आगे बढ़ने से पहले, राज्य सरकार को राज्य सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त या सहायता प्राप्त मदरसों और अन्य सभी धार्मिक संस्थानों में खेल के मैदानों की आवश्यकता सहित पाठ्यक्रम / कोर्स, शर्तों और मान्यता के मानकों को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा।

कोर्ट ने आगे राज्य सरकार से यह खुलासा करने को कहा कि क्या मान्यता प्राप्त और सहायता प्राप्त मदरसे लड़कियों को भी प्रवेश देते हैं।

प्रथम दृष्टया, न्यायालय ने अधिवक्ताओं द्वारा किए गए प्रस्तुतीकरण के आधार पर विचार के लिए निम्नलिखित प्रश्न तय किए हैं:

-क्या धार्मिक शिक्षा देने वाले शिक्षण संस्थानों को वित्तीय सहायता देने की राज्य सरकार की नीति संविधान की योजना के अनुरूप है, विशेष रूप से, भारत के संविधान की प्रस्तावना में "धर्मनिरपेक्ष" शब्द के आलोक में?

-क्या धार्मिक अल्पसंख्यकों द्वारा सरकारी फंडिंग से चलाए जा रहे संस्‍थान, जो धार्मिक शिक्षा देते हैं, देश के सभी धार्मिक विश्वासों विशेष रूप से धार्मिक अल्पसंख्यकों को दी गई संवैधानिक सुरक्षा को ईमानदारी से लागू करते हैं, विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 से 30 तक संविधान के प्रावधानों के संदर्भ में?

-क्या संस्थान जो विविध क्षेत्रों में ज्ञान देते हैं और धार्मिक शिक्षा को भी पाठ्यक्रम में शामिल करते हैं, वे "धार्मिक शिक्षा या धार्मिक पूजा" वाक्यांश के दायरे में आते हैं या केवल वे स्कूल जो विशेष रूप से धार्मिक शिक्षा प्रदान करते हैं, वे भारत के संविधान के अनुच्छेद 28 के दायरे में आते हैं?

-क्या मदरसों और अन्य धार्मिक संस्थानों के मान्यता के लिए खेल के मैदान जैसे अनिवार्य प्रावधान की अनुपस्थिति भारत के संविधान के अनुच्छेद 21ए, साथ अनुच्छेद 21 साथ पढ़ें, द्वारा प्रदत्त बच्चों के अधिकारों के साथ संगति में है?

-क्या अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी धार्मिक स्कूल चलाने के लिए सरकारी सहायता प्रदान की जाती है?

-क्या धार्मिक स्कूलों में लड़कियों को आवेदन करने पर प्रतिबंध है और यदि ऐसा है तो क्या ऐसा प्रतिबंध संविधान द्वारा निषिद्ध भेदभाव का कार्य है?

राज्य सरकार को चार सप्ताह के भीतर जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। इस मामले की दलील सीनियर एडवोकेट जीके सिंह और एडवोकेट मोहम्मद अली औसाफी ने दी।

केस का शीर्षक - सी/एम, मदरसा अंजुमन इस्लामिया फैजुल उलूम और अन्य बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य

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