राज्य पर वैकल्पिक विवाद समाधान को बढ़ावा देने की जिम्मेदारी, फिर भी वह तुच्छ मामले दायर करके कोर्ट के समय को खा रहाः कर्नाटक हाईकोर्ट
कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त हिदायत दी है कि वह ऐसे तमाम तरह के मामले को, जो कोर्ट के मूल्यवान समय को खा जाते हैं और डॉकेट एक्सप्लोज़न का कारण बनते हैं, उन्हें दाखिल करने से परहेज करें।
जस्टिस जी नरेंद्र और जस्टिस पीएन देसाई की खंडपीठ ने कहा,
"हमें लगता है कि समय आ गया है कि जब कोर्ट को सबसे बड़े मुकदमेबाज को एक संदेश भेजने की जरूरत है, और केवल इसलिए कि वह सबसे बड़ा मुकदमेबाज है, यह उसे ऐसे तमाम तरह के मामलों को दायर करने का लाइसेंस नहीं देता, जो कोर्ट का मूल्यवान समय खाता है।
विडंबना यह है कि राज्य उनमें से एक है, जिन पर वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणाली को लोकप्रिय बनाने की जिम्मेदारी है और इस वजह से राज्य डॉकेट विस्फोट का कारण नहीं हो सकता है।"
अदालत ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए-
(i) किसी याचिका/अपील/पुनरीक्षण आदि दायर करने के खिलाफ विधि विभाग की राय होने की स्थिति में, और यदि संबंधित विभाग की राय अलग है तो विभागाध्यक्ष की ओर से लिखित रूप में एक राय दर्ज की जाएगी, जिसमें कारण बताया जाएगा कि क्यों विधि विभाग/कानूनी राय की अनदेखी करते हुए अपील/पुनरीक्षण/रिट याचिका आदि का दायर करने की आवश्यकता है।
(ii) इस तरह की याचिका/अपील/पुनरीक्षण आदि पर न्यायालय विचार नहीं करता है तो सरकार अनिवार्य रूप से मुकदमेबाजी के उस विशेष हिस्से की लागत की गणना करेगे और संबंधित अधिकारी से वसूली करेगी।
(iii) कानून विभाग, कर्नाटक सरकार के की ओर से तैयार कर्नाटक राज्य विवाद समाधान नीति 2021, मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव, सभी सचिवों, बोर्डों के अध्यक्ष, वैधानिक निगमों की प्रबंध समितियों, उपायुक्तों, पुलिस अधीक्षकों, अभियोजन निदेशक, लोक अभियोजकों, राज्य के सभी विधि अधिकारियों और अन्य हितधारकों, यदि कोई हो, को आज से तीन सप्ताह की अवधि के भीतर सर्कूलेट की जाए।
(iv) विधि सचिव हितधारकों को पॉलिसी डॉक्यूमेंट और उसके कार्यान्वयन के बारे में शिक्षित करने के लिए कार्यशाला आयोजित करेंगे। अधिमानतः तीन से चार कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी और यदि आवश्यक हो तो क्षेत्रवार भी कार्यशालाएं आयोजित की जा सकती हैं।
राज्य सरकार ने कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण के एक आदेश को रद्द करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायधिकरण में आय से अधिक संपत्ति रखने के आरोपी एक सेवानिवृत्त असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर के पक्ष में आदेश में पारित किया था। हाईकोर्ट ने उक्त याचिका पर सुनवाई करते हुए निर्देश जारी किए।
29 अक्टूबर के आदेश में बेंच ने टिप्पणी की थी,
"मौजूदा रिट याचिका कोर्ट के समय के प्रति बहुत कम सम्मान दिखाती है। सबसे बड़ा वादी हाईकोर्ट कूड़ेदान की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकता है और वादी की न्याय वितरण प्रणाली के प्रति एक जिम्मेदारी है, एक जिम्मेदारी जो एक संवैधानिक जनादेश है।"
इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई को 31 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया, जबकि राज्य को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया कि क्यों न उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाए।
इसके बाद एडवोकेट प्रभुलिंग के नवदगी अदालत के समक्ष पेश हुए और 'कर्नाटक राज्य विवाद समाधान नीति 2021' से विवरण प्रस्तुत किया और कहा कि पॉलिसी डॉक्यूमेंट को न केवल सर्कूलेट किया जाएगा, बल्कि इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के प्रयास भी किए जाएंगे। उन्होंने प्रार्थना की कि यह देखते हुए जुर्माना न लगाया जाए।
अनुरोध को स्वीकार करते हुए पीठ ने कहा,
"हमें यकीन नहीं है कि विद्वान महाधिवक्ता के अनुरोध को स्वीकार करने से हमारा संदेश उन्हें समझ आएगा, फिर भी उनके कार्यालय की स्थिति और उनकी ईमानदारी को ध्यान में रखते हुए जुर्माना लगाने से परहेज कर रहे हैं लेकिन यह स्पष्ट किया जाता है कि इसे अंतिम चेतावनी के रूप में माना जाएगा। भविष्य में, यदि बेंच के समक्ष ऐसे तुच्छ मुकदमे पेश किए जाते हैं तो न केवल अनुकरणीय जुर्माना लगाया जाएगा बल्कि हमें दंडात्मक रूप से कठोर होने और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ निंदात्मक टिप्पणी करने से भी हमें कोई नहीं रोकेगा।"
तदनुसार, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया।
केस टाइटल: कर्नाटक राज्य और अन्य बनाम रहमतुल्ला
केस नंबर: रिट याचिका नंबर 23210/2021
साइटेशन: 2022 लाइवलॉ (कर) 478