इंटर फेथ मैरिज: गुजरात हाईकोर्ट ने विवाह को पंजीकृत करवाने के लिए महिला को अहमदाबाद तक एस्कॉर्ट करने का निर्देश दिया, सूर्यास्त के बाद महिला को थाने बुलाने पर सवाल उठाया
गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (08 फरवरी) को गुजरात पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि एक लोक रक्षक दल (एलआरडी) की महिला को जूनागढ़ अकादमी से अहमदाबाद तक सुरक्षित मार्ग प्रदान किया जाए ताकि वह विशेष विवाह अधिनियम के तहत एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ शादी कर सकें।
न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति संगीता के.विसेन की खंडपीठ एक हैबियस कार्पस याचिका पर सुनवाई कर रही थी। यह याचिका समीरखान फैजुल्लाहखान पठान ने दायर की थी और अपनी साथी एलआरडी की प्रशिक्षु को अदालत के समक्ष पेश करने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 के तहत दिए गए नोटिस की तीन महीने की अवधि समाप्त होने से पहले कार्पस के साथ उसका विवाह करवाने के लिए निर्देश देने की भी मांग की थी।
अदालत के समक्ष यह भी प्रस्तुत किया गया था कि याचिकाकर्ता और कार्पस ने अहमदाबाद के विवाह अधिकारी को विशेष विवाह अधिनियम के तहत शादी करने के अपने इरादे के संबंध में एक नोटिस दिया था।
(नोटः विशेष विवाह अधिनियम की धारा 5 के अनुसार, जब एक्ट के तहत विवाह करने का निश्चय किया जाता है तो विवाह के पक्षकारों द्वारा विवाह अधिकारी को नोटिस भेजना आवश्यक है। इस जोड़े ने यह नोटिस नवंबर 2020 में भेज दिया था।
इसके अलावा, विशेष विवाह अधिनियम की धारा 14 के तहत, एक ताजा नोटिस जारी करने की आवश्यकता होती है, यदि विवाह अधिकारी को नोटिस जारी करने की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर शादी नहीं की जाती है।)
कार्पस का बयान
कॉर्पस के अनुसार, वह वर्तमान में ट्रेनिंग सेंटर, जूनागढ़ में है,उसे यहां आरएलडी ट्रेनिंग सेंटर, गोमतीपुर से स्थानांतरित करके भेजा गया है।
उसने यह भी बताया कि किस तरह से उसे याचिकाकर्ता के साथ 08ः00 बजे करंज पुलिस स्टेशन में बुलाया गया और सुबह लगभग 03ः00 बजे जाने की अनुमति दी गई।
उसने आगे कहा कि वह याचिकाकर्ता से शादी करने की इच्छुक है परंतु उसका परिवार इसका विरोध कर रहा है और उनको पूरे समुदाय का समर्थन प्राप्त है। इसलिए वह ऐसा करने में असमर्थ है।
उसने कोर्ट से अनुरोध किया कि उसे मंगलवार (09 फरवरी) को अहमदाबाद की यात्रा करने की अनुमति दी जाए क्योंकि यह विशेष विवाह अधिनियम के तहत विवाह के पंजीकरण की अंतिम तिथि है।
कोर्ट का निर्देश
दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं को सुनने के बाद, कोर्ट ने एपीपी से कहा कि वह मंगलवार को कार्पस के साथ अहमदाबाद जाने के लिए पीएसआई की उपलब्धता के बारे में पता करे और यह सुनिश्चित किया जाए कि आधिकारिक वाहन में यात्रा की व्यवस्था सहित उसे सभी संभव सहयोग दिए जाएं।
यह देखते हुए कि यह एक इंटरफेथ मैरिज है, न्यायालय ने निम्नलिखित निर्देश/आदेश जारी किएः
-जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के एक कर्मचारी के साथ एक महिला पीएसआई भी कार्पस के साथ अहमदाबाद जाए।
-उक्त उद्देश्य के लिए उसे अवकाश स्वीकृत किया जाए। जूनागढ़ से व्यवस्थाओं का उचित निष्पादन पीडीजे, जूनागढ सुनिश्चित करें।
-मामले की अगली सुनवाई पर विवाह के पंजीकरण के संबंध में सब-रजिस्ट्रार की रिपोर्ट और करंज पुलिस स्टेशन के पीएसआई का शपथपत्र इस अदालत के समक्ष पेश किया जाए, जिसमें बताया जाए कि क्यों सूर्यास्त के बाद कार्पस को उसका बयान दर्ज करवाने लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया था?
-एपीपी प्रशिक्षण केंद्र, जूनागढ़ में प्रशिक्षण के दौरान कार्पस को सेलफोन के माध्यम से कोई भी संचार करने से रोकने के कारणों का पता लगाएं,जबकि अन्य प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण का समय खत्म होने के बाद इस तरह के संचार की अनुमति दी गई है। इन कारणों के बारे में न्यायालय को अवगत कराया जाए।
-एपीपी यह सुनिश्चित करें कि डीसीपी, जोन -2 विवाह के पंजीकरण की पूरी प्रक्रिया के दौरान और उसके बाद भी इस जोड़े को आवश्यक सुरक्षा प्रदान करें।
संबंधित खबरों में,गुजरात हाईकोर्ट ने मंगलवार (19 जनवरी) को एक इंटरफेथ मामले में कहा था कि तथ्य (मामले के) काफी स्पष्ट और हैरान करने वाले हैं, साथ ही पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए इंटरफेथ जोड़े को रिहा करने का आदेश दिया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने उस रिमांड के आदेश को भी रद्द कर दिया था,जो मजिस्ट्रेट द्वारा 18 जनवरी 2021 को कार्पस निसार खान (पति) के संबंध में पारित किया गया था।
अदालत निसार खान (पति) के भाई निसरखान जीतूभाई घसुरा द्वारा दायर की गई एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि निसार खान को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया था और उसके बाद उसे पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया। याचिका में बताया गया था कि हाल ही में निसार ने दूसरे समुदाय से संबंध रखने वाली अपनी बचपन की 29 वर्षीय दोस्त से शादी की थी,जिसके बाद उसके साथ ऐसा किया गया।
न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी और न्यायमूर्ति संगीता के. विसेन की खंडपीठ ने संबंधित रेंज आईजी को निर्देश दिया था कि वे इस मामले में पूछताछ करें और विशेष रूप से प्रतिवादी नंबर 5 और 6 (पुलिस) के आचरण पर विचार करें, जिनकी हिरासत में इस जोडे़ को रखा गया था और रिपोर्ट डीआईजी को सौंपी जाए।
इस तरह की जांच करते हुए, रेंज आईजी को यह ध्यान में रखने के लिए निर्देशित किया गया था कि यह एक ऐसा मामला है, जहां अनुचित जोश दिखाया गया है क्योंकि यह एक इंटर-रिलिजन मैरिज है।
केस का शीर्षक - समीरखान फैजुल्लाहखान पठान बनाम गुजरात राज्य,विशेष आपराधिक आवेदन संख्या 1404/2021
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