अभियुक्त की ओर से आरोपमुक्ति के लिए दायर आवेदन में शिकायतकर्ता सुनवाई के अवसर का हकदार: बॉम्बे हाईकोर्ट

Update: 2022-12-08 10:00 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने दोहराया कि प्रथम शिकायतकर्ता को अदालत के समक्ष अभियुक्त की ओर से दायर डिस्चार्ज एप्‍लीकेशन में सुनवाई का अधिकार है।

जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने प्रकाश सी सेठ बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य, 2020 के मामले में हाईकोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए यह टिप्‍पणी की। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह माना था कि पहला शिकायतकर्ता अभियुक्त की ओर से आरोपमुक्ति का दावा करने के लिए दायर पुनरीक्षण आवेदन में सुनवाई का हकदार है।

मामला

इस मामले में आवेदक (शिकायतकर्ता) ने मजिस्ट्रेट की अदालत (मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट, 64वीं कोर्ट एस्प्लेनेड, मुंबई) के समक्ष आवेदन दायर किया, जिसमें अभियुक्त की ओर से दायर डिस्चार्ज एप्लीकेशन पर सुनवाई की मांग की गई थी। उक्त आवेदन को अभियुक्त संख्या 2 को यह तर्क देकर चुनौती दी गई कि आवेदक को इस तरह का आवेदन दायर करने का कोई अधिकार नहीं है।

मजिस्ट्रेट ने यह कहते हुए आवेदन को खारिज कर दिया कि आवेदक ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 301 (लोक अभियोजकों द्वारा उपस्थिति) और 302 (अभियोजन चलाने की अनुमति) के तहत अदालत से आवश्यक अनुमति नहीं मांगी थी।

इसके अनुसरण में, आवेदक/सूचनाकर्ता ने मौजूदा आपराधिक पुनरीक्षण आवेदन दाखिल करके हाईकोर्ट के समक्ष मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती दी।

पक्षकारों को सुनने के बाद, न्यायालय ने आवेदक/सूचनाकर्ता द्वारा दायर आवेदन का अवलोकन किया और नोट किया कि इसमें किए गए कथन के अनुसार दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 302 के तहत अनुमति मांगी गई है।

न्यायालय ने यह भी नोट किया कि मजिस्ट्रेट अदालत ने प्रकाश सी शेठ (सुप्रा) के मामले में फैसले को अलग करते हुए कहा था कि यह संशोधन के चरण में है कि पहला शिकायतकर्ता सुनवाई का हकदार है।

हालांकि, कोर्ट ने इस व्याख्या को खारिज कर दिया और आगे प्रकाश सी. सेठ (सुप्रा) के मामले में हाईकोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट को शिकायकर्ता द्वारा दायर आवेदन की अनुमति देनी चाहिए थी।

केस टाइटल- प्रकाश सी शेठ बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य। CRIMINAL REVISION APPLICATION NO 60 OF 2022]


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