"आप लोगों को उसे खाने से कैसे रोक सकते हैं, जो वो चाहते हैं?": गुजरात हाईकोर्ट ने नॉन-वेज फूड स्टालों को हटाने पर अहमदाबाद नगर निगम को फटकार लगाई

Update: 2021-12-09 11:54 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद की सड़कों पर मांसाहारी भोजन बेचने से रोके गए रेहड़ी-पटरी वालों की याचिका पर सुनवाई करते हुए आज अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) को फटकार लगाई और कहा कि लोगों को वह खाने से कैसे रोका जा सकता है जो वे खाना चाहते हैं।

जस्टिस बीरेन वैष्‍णव ने कहा,

"आप मांसाहारी भोजन पसंद नहीं करते, यह आपका दृष्टिकोण है। आप कैसे तय कर सकते हैं लोगों को बाहर क्या खाना चाहिए? आप कैसे लोगों को वो खाने से रोक सकते हैं, जो वो खाना चाहते हैं? 

नगर निगम आयुक्त को कोर्ट में पेश होने के लिए कहते हुए पीठ ने मौखिक रूप से कहा,

"आप कैसे तय कर सकते हैं कि लोगों को क्या खाना चाहिए? अचानक सत्ता में बैठा कोई सोचता है कि वे यही करना चाहते हैं? कल आप तय करेंगे कि मुझे अपने घर के बाहर क्या खाना चाहिए? कल वे मुझसे कहेंगे कि मुझे गन्ने के रस का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे मधुमेह हो सकता है या कॉफी मेरे स्वास्थ्य के लिए खराब है।"

मामला

पीठ अहमदाबाद के 20 स्ट्रीट वेंडरों द्वारा दायर एक याचिका पर विचार कर रही थी, जिसमें स्ट्रीट वेंडर्स [आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का नियमन] अधिनियम, 2014 और इसके तहत बनाए गए नियमों को लागू नहीं करने को चुनौती दी गई थी। अधिनियम और उससे जुड़े नियमों के लागू होने के बाद से काफी समय बीत चुका है।

यह ध्यान दिया जा सकता है कि अदालत के समक्ष याचिकाकर्ताओं में से अधिकांश ऐसे व्यक्ति हैं जो अंडे की स्टॉल/गाड़ी चलाते हैं और अंडे की डिशेज बेचकर जीविकोपार्जन करते हैं। हालांकि, कुछ याचिकाकर्ता ऐसे व्यक्ति हैं जो फल और सब्जियां बेचते हैं और जीविकोपार्जन करते हैं।

याचिकाकर्ताओं ने प्रतिवादी [एएमसी, गुजरात राज्य] द्वारा लारियों/गाड़ियों, अन्य सहायक उपकरण/उपकरणों, भोजन/नाश्ता तैयार करने के लिए आवश्यक कच्चे माल की जब्ती की कार्रवाई को भी चुनौती दी है।

दूसरी ओर, एएमसी ने दावा किया है कि यह अभियान इस तथ्य के मद्देनजर चलाया गया था कि सड़कों पर मांसाहारी भोजन बेचने से स्वास्थ्य के लिए खतरा पैदा होता है क्योंकि यह अस्वच्छ है और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है।

याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया है कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ किया गया कार्य भेदभावपूर्ण, मनमाना और विकृत है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आजीविका कमाने के उनके अधिकार का उल्लंघन करता है।

याचिकाकर्ताओं ने यह भी प्रस्तुत किया है कि अधिकारियों ने उस परिसर में तोड़फोड़ की है, जहां वेंडिंग हो रही थी और वेंडिंग के लिए आवश्यक उपकरण और गाड़ियां जब्त कर ली गई।

याचिका में यह भी कहा गया है कि जब तक कोई व्यक्ति दूसरे के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है या भूमि के कानून का उल्लंघन नहीं करता है, तब तक उसे कुछ भी बनाने/बेचने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए..क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिया गया अधिकार है।

याचिका में अन्य बातों के साथ-साथ प्रार्थना की गई है कि अहमदाबाद नगर निगम को निर्देश दिया जाए कि स्ट्रीट वेंडर्स [आजीविका का संरक्षण और स्ट्रीट वेंडिंग का विनियमन] अधिनियम, 2014 और उसके तहत बनाए गए नियमों के प्रावधानों का पालन किए बिना वह फेरीवाले/विक्रेता को सड़कों से न हटाए और पथ विक्रेताओं की गाड़ी/लारी/उपकरण जब्त न करें।

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