हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी है, पक्षकार दूसरी भाषा बोलने पर जोर नहीं दे सकते : गुजरात हाईकोर्ट

High Court's Language Is English Party Can't Insist On Speaking Another Language Gujarat HC

Update: 2022-01-09 09:29 GMT

गुजरात हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा है कि हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी है और यह कि कोई पक्षकार हाईकोर्ट को किसी अन्य भाषा में संबोधित करने पर जोर नहीं दे सकता। न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 348 का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी होगी।

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष जे शास्त्री की खंडपीठ ने एक मामले में सुनवाई के दौरान पार्टी इन पर्सन के रूप में पेश हुए व्यक्ति (पक्षकार) के उस बयान पर आपत्ति जताई जिसमें उसने कहा कि वह केवल गुजराती भाषा में कोर्ट को संबोधित करेंगे।

मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार (जो कर्नाटक के रहने वाले हैं) उन्होंने कहा कि वह गुजराती नहीं समझ सकते और अगर पक्षकार वकील का खर्च उठाने में असमर्थ हैं तो वे पक्षकार को कानूनी सहायता के रूप में वकील की सेवाएं दे सकते हैं। इसके बावजूद पार्टी ने गुजराती में अपनी बात रखने पर जोर दिया।

कोर्ट ने पक्षकार की प्रार्थना को खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा,

"हम कई कारणों से उनकी दलील स्वीकार करने के इच्छुक नहीं हैं। पहला, हम अवमानना ​​करने वाले को उस भाषा में अदालत को संबोधित करने की अनुमति नहीं देंगे जो इस अदालत (मुख्य न्यायाधीश द्वारा) को समझ में नहीं आती है और दूसरा, संविधान के अनुच्छेद 348 में कहा गया है कि हाईकोर्ट की भाषा अंग्रेजी होगी और इस तरह अवमानना ​​का निवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता।"

मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक सुनवाई के दौरान कहा कि अगर पक्षकार गुजराती में संबोधित कर रहा है तो वे कन्नड़ में जवाब देंगे।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 

"फिर, मैं आपको कन्नड़ में जवाब दूंगा। यह हाईकोर्ट है, जिला न्यायालय नहीं। केवल जिला न्यायालय में स्थानीय भाषा की अनुमति है। यहां केवल अंग्रेजी है।"

अदालत ने इस मामले को एक वकील के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए पक्षकार का अनुरोध को स्वीकार करते हुए सुनवाई स्थगित कर दी।

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