जल्लीकट्टू खेल में जाति और धर्म न लाएं: हाईकोर्ट ने मदुरै जिला प्रशासन और नगर निगम को संयुक्त रूप से जल्लीकट्टू महोत्सव आयोजित करने का निर्देश दिया
मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में मदुरै जिला प्रशासन और नगर निगम को संयुक्त रूप से अवनियापुरम में जल्लीकेट्टू उत्सव आयोजित करने का निर्देश दिया।
जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी लक्ष्मीनारायणन की बेंच ने टिप्पणी की कि त्योहार को धर्म और जाति को बीच में लाए बिना शांतिपूर्ण ढंग से आयोजित किया जाना चाहिए।
अदालत अवनियापुरम इलाके के निवासी मोहनराज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी। मोहनराज ने उत्सव आयोजित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग करते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया।
उन्होंने दावा किया कि जल्लीकट्टू उत्सव आयोजित करने की अनुमति मांगने के लिए जिला प्रशासन के समक्ष कई याचिकाएं दायर की गई, अगर अनुमति दी गई तो कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी और त्योहार के सुचारू संचालन में बाधा उत्पन्न होगी।
मोहनराज ने अपनी याचिका में कहा कि जल्लीकेट्टू त्योहार 100 से अधिक वर्षों से मनाया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि वर्ष 2018 में उत्सव आयोजित करने की अनुमति के लिए दायर कई याचिकाओं के बाद मद्रास हाईकोर्ट ने 2019 में जल्लीकट्टू आयोजन समिति का गठन किया, जिसमें एक पूर्व जिला न्यायाधीश को अध्यक्ष और तीन वकीलों को सदस्य बनाया गया और जल्लीकेट्टू उत्सव आयोजित करने के लिए अवनियापुरम के निवासियों की एक सलाहकार समिति का गठन किया। हाईकोर्ट ने बिना किसी अप्रिय घटना के त्योहार आयोजित करने के लिए कुछ दिशानिर्देश भी जारी किए।
मोहनराज ने यह भी बताया कि राज्य ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में संशोधन लाया। इस प्रकार तमिलनाडु पशु क्रूरता निवारण (जल्लीकेट्टू का आचरण) नियम, 2017 पेश किया गया।
मोहनराज ने प्रस्तुत किया कि 2020 में जिला प्रशासन ने एक शांति समिति की बैठक की और त्योहार को जिला प्रशासन के तहत आयोजित करने का निर्णय लिया। कई याचिकाओं के बाद हाईकोर्ट ने वर्ष 2018 की तरह ही जल्लीकेट्टू आयोजन समिति द्वारा महोत्सव आयोजित करने का आदेश दिया।
मोहनराज ने प्रस्तुत किया कि चूंकि 2022 और 2023 में जल्लीकेट्टू उत्सव के आयोजन पर अधिकार का दावा करते हुए अवनियापुरम थेनकल कनमई पसाना विवासयिकल मातृम प्रार्थना जल्लीकेट्टू नाला संघम द्वारा एक मुकदमा दायर किया गया। इसलिए जिला प्रशासन ने मदुरै निगम के सहयोग से उत्सव आयोजित करने का निर्णय लिया।
मोहनराज ने दलील दी कि उत्सव आयोजित करने की अनुमति के लिए प्रशासन के पास पहले ही कई याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं और यदि कोई अनुमति दी गई तो इससे कानून-व्यवस्था की समस्या पैदा हो जाएगी। उन्होंने अदालत को सूचित किया कि हालांकि उन्होंने अदालत के अधिकारियों से जल्लीकेट्टू उत्सव आयोजित करने का आग्रह किया, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, जिसके कारण उन्हें अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा।
इस प्रकार अदालत ने अधिकारियों को संयुक्त रूप से उत्सव आयोजित करने का निर्देश दिया और याचिका का निपटारा किया।
केस टाइटल: पी मोहनराज बनाम जिला कलेक्टर और अन्य
केस नंबर: WP (MD) नंबर 30433 ऑफ़ 2023