" वह लगभग मृत्युशैया पर हैं," बॉम्बे हाईकोर्ट ने वरवरा राव को तलोजा जेल से नानावती अस्पताल में स्थानांतरित करने का आदेश दिया

Update: 2020-11-18 08:26 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को 81 वर्षीय वृद्ध वरवरा राव की गंभीर चिकित्सीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए निर्देश दिया कि उन्हें 15 दिन के लिए तलोजा जेल से नानावती सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाए।

जस्टिस एसएस शिंदे और माधव जामदार की डिवीजन बेंच ने कहा, "..आदमी लगभग मृत्युशैया पर है। उन्हें उपचार की आवश्यकता है। क्या राज्य कह सकता है कि नहीं, हम तलोजा में उनका इलाज करेंगे?" हम केवल दो सप्ताह के लिए उन्हें नानावती में हस्तांतरित करने के लिए कह रहे हैं। हम दो सप्ताह के बाद आगे देखेंगे।"

पीठ ने आगे निर्देश दिया कि उन्हें अदालत को सूचित किए बिना अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जानी चाहिए। मेडिकल रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की जाए। साथ ही, राव के परिवार के सदस्यों को अस्पताल में उनसे मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालत 3 दिसंबर को इस मामले पर विचार करेगी।

पीठ ने कहा कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह (याचिकाकर्ता की ओर से पेश) के प्रस्तुतिकरण से सहमत है कि 15 मिनट वीडियो कॉल से उचित चिकित्सा जांच संभव नहीं हो सकती है और विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में विस्तृत शारीरिक जांच आवश्यक है।

लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने सरकार से निर्देश लेने के बाद पीठ को सूचित किया कि महाराष्ट्र सरकार को उन्हें नानावती अस्पताल में स्थानांतरित करने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन अभियोजक ने प्रस्तुत किया कि मामले को विशेष मामले के रूप में माना जाना चाहिए न कि एक मिसाल के रूप में।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह, जो राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की ओर से पेश हुए, ने नानावती अस्पताल में शिफ्टिंग पर आपत्ति जताई और कहा कि जेजे अस्पताल (सरकारी अस्पताल) में पर्याप्त सुविधा है।

बुधवार को, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने याचिकाकर्ता के लिए अपनी प्रस्तुतियां जारी रखीं। उन्होंने कहा कि "उचित आशंका" है कि वरवरा राव जेल में मर सकते हैं और भीमा कोरेगांव मामले के मुकदमा में खड़े नहीं हो पाएंगे। मेडिकल रिपोर्टों का हवाला देते हुए, जयसिंह ने कहा कि उनकी हालत बेहद खराब है और तलोजा जेल अस्पताल में उनके इलाज के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं।

उन्होंने कहा, "भोजन ग्रहण करने की उनकी क्षमता से समझौता किया गया है। उनकी निगरानी केवल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ही हो सकती है और तलोजा जेल में नहीं"।

अदालत दो मामलों की सुनवाई कर रही थी - राव द्वारा चिकित्सा आधार पर दायर जमानत याचिका और उनकी पत्नी हेमलता द्वारा दायर रिट याचिका, जिसमें कहा गया ‌था कि उन्हें कैद में रखना उनके स्वास्थ्य और जीवन के अधिकार का उल्लंघन है।

कल, वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह ने अदालत को सूचित किया था कि नानावती अस्पताल के डॉक्टरों द्वारा वीडियो कॉल से हुई जांच के बाद तैयार की गई राव की मेडिकल रिपोर्ट 'धोखा' है और न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण उनकी बिगड़ती हालता, मूत्र संक्रमण, और ड‌िमेंशिया के बावजूद उनकी विशेषज्ञों द्वारा जांच नहीं की गई है।

आज, मामले की फिजिकल सुनवाई के दौरान, जयसिंह ने प्रस्तुत किया कि तलोजा जेल अस्पताल इन परीक्षणों को करने के लिए सुसज्जित नहीं है और पीठ से उन्हें तुरंत नानावती अस्पताल में स्थानांतरित करने का आग्रह किया। उन्होंने तर्क दिया कि अदालतों ने माना है कि जब मेडिकल आधार पर जमानत की बात आती है, तो यूएपीए के ऊपर सीआरपीसी के प्रावधानों का तरजीह दिया जाना चाहिए।

जयसिंह ने कहा, "तलोजा जेल अस्पताल में किए गए परीक्षण पनवेल में एक निजी एजेंसी द्वारा किए गए थे। उस अस्पताल में उनकी देखरेख कैसे की जा सकती है, जहां कोई प्रयोगशाला नहीं हैं? उचित आशंका है कि वह (वरवराराव) हिरासत में मर जाएंगे?"

उन्होंने कहा, "वह (वरवर राव) पूरी तरह बिस्तर पर हैं, डायपर में, कैथेटर पर हैं और कोई मेडिकल अटेंडेंट नहीं है। कैथेटर को 3 महीने से नहीं बदला गया है, क्योंकि इसे बदलने वाला कोई नहीं है। अगर वह मर गए तो जिम्मेदारी कौन लेगा? नानावती अस्पताल में उन्हें दिल का दौरा पड़ा था। अगर उनके साथ कुछ होता है, तो यह "कस्टोडियल डेथ" से कम नहीं होगा।"

उन्होंने अदालत को सूचित किया कि वर्तमान में, राव की सह-अभियुक्त वर्नोन गोंसाल्वेस और अरुण फेरेरा द्वारा देखभाल की जा रही है, जो चिकित्सकीय रूप से प्रशिक्षित नहीं हैं, यह दर्शाता है कि तलोजा जेल अस्पताल उनकी देखभाल करने में असमर्थ है।

राव की गंभीर चिकित्सा स्थिति के बारे में बताते हुए, जयसिंह ने अदालत को बताया कि नानावती अस्पताल द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, वह अपनी चेतना खो चुके हैं। हालांकि, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केवल 15 मिनट के लिए उनकी जांच की गई थी।

उन्होंने कहा, "भोजन ग्रहण करने की उनकी क्षमता से समझौता किया जाता है। उनकी निगरानी केवल सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में हो सकती है, न कि तलोजा जेल में।"

पीठ ने यह भी माना कि 15 मिनट से अधिक वीडियो कॉल पर उचित चिकित्सीय जांच संभव नहीं है। जयसिंह ने आगे बताया कि 30 जुलाई 2020 के बाद वरवर राव की कोई भी मेडिकल रिपोर्ट उपलब्ध नहीं है और जबकि उन्हें अगस्त में अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी, तब भी कोई ड‌िस्चार्ज रिपोर्ट नहीं है।

उन्होंने कहा, "आज तक नानावती अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट परिवार को उपलब्ध नहीं कराई गई है। केवल उस रिपोर्ट से पता चलतेगा क्या कार्रवाई की गई है या नहीं की गई है। नानावती अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट, जेजे अस्पताल और सेंट जॉर्ज अस्पताल की डिस्चार्ज रिपोर्ट उपलब्ध नहीं हैं।"

राज्य की ओर से पेश लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने सुझाव दिया कि वरवराराव को जेजे अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जो एक सरकारी अस्पताल है, और वहां सभा जांच की जा सकती है। हालांकि, जयसिंह ने इस सुझाव का कड़ा विरोध किया और अदालत को सूचित किया कि जब राव को जुलाई में जेजे अस्पताल में भर्ती कराया गया था, तब उन्हें सिर में चोट लगी थी।

उन्होंने कहा, "मैं राज्य की ओर से लापरवाही बरते जाने का आरोप लगा रही हूं। यदि राज्य उनकी देखभाल करने में असमर्थ है, तो उन्हें नानावती अस्पताल में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है।"

बेंच ने हालांकि कहा कि जेजे अस्पताल पर पहले से ही बहुत बोझ है और अदालत उस पर दबाव बढ़ाना नहीं चाहती है। आगे कहा कि अगर राव को नानावती अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया जाता है, तो भी वह एनआईए की हिरासत में रहेंगे।

जस्टिस शिंदे ने कहा, "सरकारी अस्पतालों में काम करने वाले डॉक्टर बहुत मेहनत कर रहे हैं। कभी-कभी वे 8 घंटे से अधिक समय तक काम करते हैं.."

चूंकि वरवरा राव पहले से ही COVID-19 से पीड़ित हैं, इसलिए जयसिंह ने जोर देकर कहा कि COVID-19 की जटिलताओं के कारण बूढों का मल्ट‌ि ऑर्गन फैल्योर हो सकता है।

जयसिंह ने यह भी तर्क दिया था कि एनआईए कोर्ट ने कैदी को अंतरिम जमानत पर रिहा करने संबंधी COVID-19 दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है। 65 साल से अधिक उम्र के कैदियों के लिए जारी ताजा दिशानिर्देशों के आधार पर वरवरा राव की ओर से दूसरी जमानत याचिका दायर की गई थी।

भीमा कोरेगांव मामले में माओवादियों के साथ कथित संबंधों के लिए, यूएपीए के तहत आरोपों का सामना कर रहे राव को अगस्त 2018 से हिरासत में रखा गया है।

मामले में एडवोकेट आनंद ग्रोवर, (जयसिंह के साथ उपस्थित) ने कहा कि इस मामले में आरोप तय करने में कम से कम एक साल लगेगा क्योंकि यह कंप्यूटर साक्ष्य पर आधारित है और क्लोन प्रतियां अभी तक प्रदान नहीं की गई हैं। इसलिए उन्होंने वरवर राव के तत्काल अस्पताल में भर्ती किए जाने की प्रार्थना की।

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