गुजरात हाईकोर्ट ने गुजरात विद्यापीठ यूनिवर्सिटी के कुलपति को हटाने पर रोक लगाई

Update: 2022-04-06 11:00 GMT

गुजरात हाईकोर्ट

गुजरात हाईकोर्ट ने यूनिवर्सिटी अनुदान आयोग द्वारा नवंबर, 2021 में लिए गए निर्णय के अनुसार गुजरात विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) अहमदाबाद के कुलपति को हटाने पर रोक लगा दी। उक्त आदेश में कुलाधिपति को याचिकाकर्ता-कुलपति को हटाने का निर्देश दिया गया है।

याचिकाकर्ता ने यूजीसी के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि निष्कासन यूजीसी (विश्वविद्यालयों के लिए संस्थान) विनियम, 2019 के विनियमन 10.12.2.ई का उल्लंघन है।

हाईकोर्ट का ध्यान नवंबर 2021 में आयोजित यूजीसी की प्रासंगिक बैठक के कार्यवृत्त की ओर आकर्षित किया गया। इसमें समिति ने निष्कर्ष निकाला कि यूनिवर्सिटी के कुलपति के रूप में डॉ राजेंद्र खिमानी की नियुक्ति में कई खामियां हैं। इसके अलावा, अलग से गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने पाया कि 2004-2019 तक रजिस्ट्रार के रूप में यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक और वित्तीय कामकाज में कुछ खामियों के लिए डॉ खिमानी जिम्मेदार हैं।

तदनुसार, जैसा कि यूजीसी विनियम 2018 के खंड 10.12.13.ई में निर्धारित है, कुलपति तत्काल प्रभाव से हटाए जाने के लिए उत्तरदायी हैं और यदि यूनिवर्सिटी इसका पालन करने में विफल रहता है, तो उनके अनुदान को रोक दिया जा सकता है।

यह विरोध किया गया कि विनियम 10.12.2 के तहत, कुलपति संस्था के पूर्णकालिक वेतनभोगी अधिकारी हैं और विनियम 10.12.3.E.(f) के तहत यूजीसी के पास उन्हें हटाने की शक्ति है।

पीठ ने पाया कि प्रथम दृष्टया यूनिवर्सिटी को प्राकृतिक न्याय के मूल सिद्धांतों का पालन करने वाली उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कुलपति को हटाने के लिए मजबूर किया गया।

जस्टिस बीरेन वैष्णव ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और यूजीसी को प्रासंगिक यूजीसी बैठक के कार्यवृत्त के अनुसार आगे कोई भी कठोर कदम उठाने से रोक दिया। यह भी निर्देश दिया गया कि नवंबर, 2021 की यूजीसी की बैठक के निर्देशों के अनुसार आगे कोई निर्णय नहीं लिया जाए।

केस शीर्षक: राजेंद्र अमूलख खिमानी बनाम विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

केस नंबर: सी/एससीए/5608/2022

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