गुजरात हाईकोर्ट ने दरगाह को गिराने के खिलाफ याचिकाओं पर राज्य सरकार, जूनागढ़ नगर निगम को नोटिस जारी किया
गुजरात में कथित अनधिकृत दरगाहों को गिराने के लिए गुजरात राज्य सरकार ने नोटिस जारी किया था। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं। अब हाईकोर्ट ने विध्वंस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर राज्य सरकार, जूनागढ़ नगर निगम, राज्य वक्फ बोर्ड और दूसरे अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
जस्टिस वैभवी नानावती मामले की सुनवाई कर रही थी। उन्होंने मामले को 27 जून के लिए पोस्ट कर दिया है। सरदुम्शा, रेशमशा पीर दरगाह ट्रस्ट और समस्त सुन्नी मुस्लिम ने जूनागढ़ में मुस्लिम समुदाय से संबंधित धार्मिक संरचनाओं को निशाना बनाने वाले विध्वंस अभियान का विरोध करते हुए याचिकाएं दायर की हैं।
विध्वंश नोटिस जूनागढ़ नगर निगम के सीनियर नगर योजनाकार की ओर से जारी किए गए थे, जिसमें सार्वजनिक सड़कों पर दरगाहों के कथित अवैध अतिक्रमण को हटाने की मांग की गई थी।
इनमें से एक दरगाह 'हज़रत गेबांशा पीर दरगाह' है, जो 100 साल से अधिक पुरानी मानी जाती है और दूसरी 'हज़रत जमीयलसदातार दरगाह' है।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि जूनागढ़ नगर निगम ने कथित तौर पर पुलिस की सहायता से नरसिंह मेहता झील के सौंदर्यीकरण के बहाने अवैध विध्वंस अभियान शुरू किया है।
विध्वंस की धमकियों के जवाब में, अपरकोट किले में विभिन्न दरगाहों के देखभाल करने वालों और संरक्षकों ने पहले राजस्व अधिकारी और पुरातत्व विभाग के साथ आपत्तियां दर्ज की थीं, और दरगाहों की सुरक्षा का अनुरोध किया था।
इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने पिछले महीने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अदालत के "मौखिक निर्देश" के बावजूद और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अधिकारियों ने अवैध रूप से और मनमानी तरीके से आधी रात को पुलिस सुरक्षा के बल पर कुछ धार्मिक संरचनाओं को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।
इसके बाद, याचिकाकर्ताओं ने धार्मिक संरचनाओं की बहाली, मुआवजे, अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्रवाई की मांग करते हुए विध्वंस की अवैध कार्रवाई को चुनौती देते हुए एक स्पेशल सिविल एप्लीकेशन के माध्यम से अदालत का रुख किया।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि कि जूनागढ़ नगर निगम जूनागढ़ में दरगाहों को और अधिक अवैध रूप से ध्वस्त करने की योजना बना रहा है। उन्होंने अधिकारियों को एक अभ्यावेदन दिया, जिसमें कानून की उचित प्रक्रिया के अनुपालन और सुनवाई का उचित अवसर देने की मांग की है।
याचिकाओं में 16 जून को हुए विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र है, जिसमें पुलिस पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ लाठीचार्ज करने और आंसू गैस के गोले छोड़ने का आरोप है।
इसके अलावा ये आरोप भी लगाया गया कि पुलिस ने गैरकानूनी तरीके से घरों घुसे। निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया और 100 से अधिक मुसलमानों को हिरासत में लिया। और तो और 500 से अधिक लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि सार्वजनिक सड़कों पर अन्य धर्मों की कई संरचनाएं स्थित हैं, लेकिन प्रतिवादियों ने विशेष रूप से मुस्लिम धार्मिक संरचनाओं को टारगेट किया।
याचिकाकर्ताओं ने विध्वंस नोटिस को रद्द करने और प्रतिवादियों को विशेष रूप से माजेवाडी दरवाजा के पास स्थित 'हजरत गेबांशा पीर दरगाह' के पास किसी भी विध्वंस को रोकने की मांग की है।
केस टाइटल: समस्त सुन्नी मुस्लिम ट्रस्ट बनाम गुजरात राज्य आर/विशेष सिविल आवेदन संख्या 10376 2023
उपस्थिति: रिज़वान शेख (7146) याचिकाकर्ता(ओं) नंबर 1 के लिए, प्रतिवादी(ओं) नंबर 2,3,4,5,6 के लिए, प्रतिवादी(ओं) नंबर 1 के लिए सरकारी वकील/पीपी को अग्रिम प्रति दी गई।
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