वन घोटाला: पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में आईएफएस अधिकारी विशाल चौहान को जमानत दी

Update: 2023-02-21 07:34 GMT

Punjab & Haryana High Court

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सोमवार को पंजाब वन घोटाला और डब्ल्यूडब्ल्यूआईसीएस रिसॉर्ट जबरन वसूली मामले में आईएफएस अधिकारी विशाल चौहान और अन्य को जमानत दे दी।

चौहान को पिछले साल एफआईआर में नामित किया गया, जब सतर्कता विभाग ने मोहाली के मंडल वन अधिकारी (डीएफओ) गुरमनप्रीत सिंह और वन विभाग के ठेकेदार हरमिंदर सिंह की गिरफ्तारी के साथ वन घोटाले का भंडाफोड़ किया।

जस्टिस अनूप चितकारा की पीठ ने यह आदेश पारित किया, क्योंकि यह कहा गया कि अभियुक्तों को आगे सुनवाई से पहले कैद करना न्यायोचित नहीं है।

पीठ ने कहा,

"इस अदालत के सामने केवल यही सवाल है कि क्या अभियुक्त के लिए 4 से 7 महीने की प्री-ट्रायल क़ैद पर्याप्त है या नहीं। मामले के संपूर्ण तथ्यों और परिस्थितियों में और आरोपों की प्रकृति को देखते हुए मेरा मानना है कि अभियुक्तों के लिए आगे की सुनवाई पूर्व क़ैद न्यायोचित नहीं है और यह अभियुक्तों के लिए प्रतिकूल हो सकता है।"

चौहान के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया, जब सह-आरोपी हरमोहिंदर सिंह, जो वन विभाग के ठेकेदार था, उसने भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत खुलासा किया।

अपने बयान में उसने कहा कि 2017 से 2022 के बीच वह नियमित रूप से वन विभाग के अधिकारियों, राजनेताओं और उनके सहयोगियों को रिश्वत देते रहे हैं और उसने इस संबंध में एक डायरी रखी, जिसे उसने अपने आवास के बेसमेंट में छुपा कर रखा।

खुलासा बयान के आधार पर अभियुक्तों ने वह डायरी बरामद करवाई, जिसमें खैर के पेड़ों की कटाई के लिए जिन लोगों को रिश्वत दी गई, उनके नाम अंकित हैं।

आरोपी ने आगे खुलासा किया कि उसने हर सीजन में करीब 7000 खैर के पेड़ काटने का परमिट लेने के एवज में रिश्वत दी और इस तरह हर सीजन में 70 लाख रूपये की रिश्वत दी गई।

संबंधित डी.एस.पी. सतर्कता ब्यूरो, यूनिट, एस.ए.एस. नगर, मोहाली द्वारा दायर की गई स्टेटस रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया कि डायरी में उक्त अभियुक्तों और याचिकाकर्ताओं के बीच वित्तीय लेनदेन का खुलासा हुआ।

चौहान और अन्य को पिछले साल गिरफ्तार किया गया और उसके बाद वे जमानत के लिए हाईकोर्ट गए।

पक्षकारों के वकीलों को सुनने के बाद पीठ ने सोमवार को कहा कि जमानत के चरण में ऐसी डायरी की पूर्ण विश्वसनीयता का विश्लेषण नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा, यह भी देखा गया कि जमानत देना या अस्वीकार करना दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निष्कर्ष नहीं है। इसलिए उन्हें जमानत देने के लिए उचित आधार ढूंढते हुए अदालत ने आरोपी [प्रवीण कुमार, विशाल चौहान, और गुरमनप्रीत सिंह] को नियमित जमानत की राहत दी।

उपस्थितिः सीनियर एडवोकेट एपीएस देओल एडवोकेट विशाल आर लांबा और हिम्मत सिंह देओल के साथ [CRM-M-39402 और 52056-2022 में याचिकाकर्ताओं के लिए], एडवोकेट निखिल घई, प्रभदीप बिंद्रा, मालिनी सिंह और ऋषभ सिंगला के साथ सीनियर एडवोकेट बिपन घई [CRM-M-39397 और 48332-2022 में याचिकाकर्ता (ओं) के लिए], एडिशनल एजी, पंजाब गौरव गर्ग धूरीवाला ने DSP, सतर्कता ब्यूरो, मोहाली नवदीप सिंह [पंजाब राज्य के लिए] और सीनियर एडवोकेट कंवलजीत सिंह के साथ एडवोकेट अजयवीर सिंह और के.एस. रूपल [CRM-M-39397 और 39402-2022 में शिकायतकर्ता के लिए]

केस टाइटल- प्रवीण कुमार बनाम पंजाब राज्य और जुड़े मामले

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