मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर के खिलाफ फैली दुर्भाग्यपूर्ण फेक न्यूज: उड़ीसा हाईकोर्ट ने जारी किया बयान, सीजे को बदनाम करने की कोशिश की निंदा

Update: 2022-10-29 12:52 GMT

मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर के खिलाफ सोशल मीडिया में चल रही फर्जी खबरों के खिलाफ उड़ीसा हाईकोर्ट ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।

एडवोकेट श्रीनिवास मोहंती नाम के एक वकील ने अपने फेसबुक अकाउंट में एक तस्वीर प्रकाशित की थी जिसमें लिखा था कि मुख्य न्यायाधीश डॉ एस मुरलीधर ने श्री वीके पांडियन आईएएस, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के निजी सचिव और कुछ अन्य लोगों के साथ आधिकारिक प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए बंद दरवाजे की बैठक की थी।

सोशल मीडिया में वायरल हो रहे इस मैसेज के मद्देनजर हाईकोर्ट ने आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है।

फर्जी खबरों की कड़ी निंदा करते हुए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री ने कहा,

"यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि उड़ीसा हाईकोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे एक वकील द्वारा एक तस्वीर प्रकाशित करके और वास्तविक तथ्यों को जाने बिना पूरी तरह से अपमानजनक और झूठे बयान देकर फर्जी खबरों को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया गया है।"


 



प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि यह तस्वीर 12 मार्च, 2022 को सत्य साईं सेवा संगठन, भुवनेश्वर में ली गई थी। सत्य साईं हृदय अस्पताल द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नि:शुल्क मेगा हार्ट कैंप के उद्घाटन का अवसर था।

समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एमआर शाह को आमंत्रित किया गया था। डॉ.जस्टिस एस मुरलीधर को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था। श्री वी.के. पांडियन को भी समारोह में आमंत्रित किया गया था।

प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है,

"तस्वीर ऐसे समय में ली गई है जब मेहमान पुरी से जस्टिस एमआर शाह के आगमन की प्रतीक्षा कर रहे थे, इसलिए यह मुख्य न्यायाधीश और श्री पांडियन के बीच 'बंद दरवाजे की बैठक' या 'निजी बैठक' नहीं थी जैसा कि कहा गया है। वास्तव में यह कोई बैठक नहीं थी। यह एक धर्मार्थ संगठन द्वारा एक सार्वजनिक समारोह था, जो दिल की बीमारियों से पीड़ित ओडिशा के हजारों गरीब बच्चों को मुफ्त इलाज प्रदान कर रहा था। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि न केवल उड़ीसा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बल्कि पूरे न्यायपालिका की संस्था को जानबूझकर बदनाम करने का एक भयावह प्रयास किया गया है। इसके अलावा, मीडिया के कुछ वर्ग ने दुर्भाग्य से समाचार को नकारात्मक बना दिया है।"

उपरोक्त तथ्यों को सत्यापित किए बिना टिप्पणियां की गईं। इन तथ्यों को इस तरह के समाचार आइटम के प्रकाशन से पहले कार्यक्रम आयोजित करने वाले संगठन और हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से भी आसानी से सत्यापित किया जा सकता था।"

रजिस्ट्री ने 12 मार्च को सत्य साई सेबा संगठन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के लिए आधिकारिक निमंत्रण कार्ड भी शेयर किया।

प्रेस विज्ञप्ति की प्रति डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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