फर्जी वकील का मामला: मद्रास हाईकोर्ट ने बार काउंसिल को वैधानिक समेतियों में पदों पर रहने की अनुमति देने से पहले वकीलों के अतीत को सत्यापित करने का निर्देश दिया
मद्रास हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी को वैधानिक समितियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहने की अनुमति देने से पहले वकीलों के अतीत को सत्यापित करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने यह निर्देश 17 वर्षीय दत्तक पुत्र को पेश करने की मांग वाली मां की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विचार करते हुए दिया। इस मामले में अदालत को 'फर्जी वकील' का पता चला है।
बच्चे को तीसरे और चौथे प्रतिवादी द्वारा अवैध रूप से कस्टडी में लिया गया है। बाद में चौथे प्रतिवादी ने खुद के वकील होने का दावा किया। हालांकि, पूछताछ करने पर पाया गया कि चौथे प्रतिवादी की कानून की डिग्री फर्जी है और उसने जाली दस्तावेज बनाने के लिए दूसरे वकील के साथ मिलीभगत की है। इसी के तहत कोर्ट ने पुलिस आयुक्त को आपराधिक मामला दर्ज करने का आदेश दिया।
जस्टिस एस वैद्यनाथन और जस्टिस एडी जगदीश चंडीरा की पीठ को मामला के सुनवाई के लिए आने पर अवगत कराया गया कि जांच अधिकारी ने सच्चाई का पता लगाने के लिए प्रतिवादी की पुलिस हिरासत के लिए कदम उठाए हैं। अदालत ने यह भी कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस तरह के आपराधिक आरोपों का सामना कर रहा व्यक्ति जिम्मेदार पद पर था।
यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे व्यक्ति को परिषद की विभिन्न समितियों में जिम्मेदार पद पर रहने की अनुमति दी जाती है। इस दौरान, इस तथ्य की अनदेखा कर दिया जाता है कि एडवोकेट को सज्जनों के रूप में बुलाकर अकेले इस पेशे को सबसे महान माना जाता है।
बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी के अध्यक्ष ने अदालत को सूचित किया कि बार काउंसिल के सदस्यों ने सर्वसम्मति से दो गलत वकीलों को रजिस्ट्रेशन कमेटी और डिसिप्लीन कमेटी से हटाने का फैसला किया है। वकीलों ने पहले ही अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है और नए सदस्यों के चयन के लिए बैठक होनी है।
अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि बार के किसी भी सदस्य एडवोकेट को तब तक किसी पद पर नहीं रहना चाहिए, जब तक कि वह उपयुक्त फोरम द्वारा आरोपों से पूरी तरह से बरी न हो जाए।
यह उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है कि किसी भी बार काउंसिल के सदस्य एडवोकेट, जो आपराधिक मामले का सामना कर रहा है, वह ऐसे पद पर तब तक नहीं रहेगा जब तक कि वह उचित फोरम द्वारा आरोपों से पूरी तरह से मुक्त नहीं हो जाता। तमिलनाडु एंड पुडुचेरी की बार काउंसिल को सी.श्री मुरुगा के आचरण को सत्यापित करने का निर्देश दिया गया। इसका कार्य नैतिक अधमता के दायरे में आता है। यह निर्देश दिया जाता है कि तमिलनाडु एंड पुडुचेरी बार काउंसिल किसी भी वकील को वैधानिक कमेटियों में महत्वपूर्ण पद धारण करने की अनुमति देने से पहले नामांकन और अनुशासनात्मक कमेटियों को छोड़कर ऐसी नियुक्तियों के लिए कोई जगह दिए बिना उसके पूर्ववृत्त का सत्यापन करेगी।
अदालत ने रजिस्ट्रेशन के इंस्पेक्टर जनरल को सभी सब-रजिस्टर के कार्यालय को पत्र जारी करने और विवरण एकत्र करने का भी निर्देश दिया कि इन एडवोकेट द्वारा कितने दस्तावेज रजिस्टर्ड किए गए हैं। जिला रजिस्ट्रार को इन विवरणों को एकत्र करने के लिए अदालत की सहायता करने का निर्देश दिया गया।