'यहां तक कि शिक्षकों को भी नहीं बख्शा गया': वकील ने हिजाब प्रतिबंध मामले में हाईकोर्ट के आदेश का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया; महाधिवक्ता ने लिखित शिकायत देने पर गौर करने का आश्वासन दिया

Update: 2022-02-19 07:25 GMT

Karnataka High Court

कर्नाटक में कक्षाओं में धार्मिक कपड़े पहनने पर लगी रोक को राज्य के सभी स्‍कूलों और कॉलेजों पर लागू कर दिया गया है, जबकि पहले आदेश केवल उन कॉलेजों तक सीमित था, जहां कॉलेज विकास समिति (सीडीसी) ने यूनिफॉर्म निर्धारित किया था।

कर्नाटक हाईकोर्ट को शुक्रवार को बताया गया कि 10 फरवरी को जारी अंतरिम आदेश, जिसमें सभी स्टूडेंट्स को, धर्म या अस्‍था पर विचार किए बिना, कक्षा के भीतर धार्मिक कपड़े पहनने से रोक दिया गया है, उसे राज्य के सभी स्कूलों कॉलेजों तक विस्तारित किया जा रहा है।

एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता मोहम्मद ताहिर ने आज सुनवाई के अंत में अदालत को बताया कि,

"ये सभी रिट याचिकाएं निजी प्रकृति की हैं, और कोर्ट ने कानून और व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए अंतरिम आदेश पारित किया है। आदेश में विशेष रूप से कहा गया है कि यह केवल उन कॉलेजों तक ही सीमित है, जहां सीडीसी ने कोई यूनिफॉर्म निर्धारित किया है। हालांकि इसके बावजूद, राज्य ने इस आदेश को आगे बढ़ाया है और इसे सभी स्कूलों, डिग्री कॉलेजों और कॉलेजों में लागू कर दिया है। यहां तक कि स्कूल के शिक्षकों को भी नहीं बख्‍शा गया है।"

इसके अलावा, उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि आदेश को कैसे लागू किया जा रहा है, इस पर एक रिपोर्ट मांगी जाए। उन्होंने कहा, "चूंकि इस आदेश से मुस्लिम समुदाय के लोगों को दिक्कत हो रही है क्योंकि हर विभाग अलग-अलग तरीके से इसकी व्याख्या कर रहा है।"

उन्होंने यह भी कहा, "कल अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने एक आदेश पारित किया है, यहां तक ​​कि उर्दू स्कूल जहां 100 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है, सभी शिक्षक मुस्लिम हैं, वे भी इस आदेश को लागू कर रहे हैं। इससे समाज में अराजकता पैदा हो रही है।"

उन्होंने आगे कहा, "आदेश का उद्देश्य कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करना था, लेकिन इससे कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ रही है। स्कूलों और कॉलेजों के गेट पर पुलिस तैनात है और वे मुस्लिम लड़कियों को बुर्का और दुपट्टा हटाने के लिए मजबूर कर रहे हैं और उन्हें धमका रहे हैं। जबकि आदेश कक्षा के अंदर हिजाब नहीं पहनने के लिए था।"

चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पूर्ण पीठ ने कहा, "हमारा आदेश बहुत स्पष्ट है।"

महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने कहा, "उन्हें मुझे लिखित में विवरण देने दें, हम यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त निर्देश देंगे कि कोई भी कोर्ट के अंतरिम आदेश से परे कार्य न करे। मैं अदालत को आश्वस्त करता हूं कि किसी को कठिनाइयों नहीं होगी, बशर्ते वह मुझे लिखित रूप में विवरण दें।"

पीठ ने दिए गए आश्वासन को स्वीकार कर लिया और कहा, "अपनी शिकायत उसे लिखित में दें, वह अधिकारियों को हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कार्य करने का निर्देश देगा।"

ताहिर की ओर से रिपोर्ट मांगने के निवेदन पर कोर्ट ने कहा, "उनका स्टैंड यह है कि वे हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार सख्ती से काम कर रहे हैं। अगर आपको लगता है कि कोई व्यक्तिगत मामला है, जहां वे हाईकोर्ट के आदेश का उल्लंघन कर रहे हैं या आदेश से परे कार्य कर रहे हैं तो लिख‌ित उदाहरण दें, वे इस पर कार्रवाई करेंगे।"

कोर्ट ने कहा, "वह (एडवोकेट जनरल) अदालत के प्रति बहुत निष्पक्ष हैं, वह कह रहे हैं कि वह इस पर कार्रवाई करेंगे। "

इसके बाद ताहिर ने कहा कि वह महाधिवक्ता को कथित उदाहरणों का विवरण देते हुए एक पत्र देंगे और एक प्रति अदालत को भी प्रस्तुत करेंगे।

कोर्ट ने आज मामले में महाधिवक्ता को सुना। पूरी रिपोर्ट यहां पढ़ी जा सकती है। सोमवार को भी सुनवाई जारी रहेगी।

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