'सुनिश्चित करें कि वे शांति से रह सकें': कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंतर-धार्मिक विवाहित जोड़े को पुलिस सुरक्षा दी
कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछले सप्ताह एक अंतर धार्मिक विवाहित जोड़े को लड़की के बालिग होने के कारण लड़की के परिवार के सदस्यों से इस्स जोड़े को पुलिस सुरक्षा प्रदान की।
न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा 18 साल की एक लड़की द्वारा दायर एक याचिका पर फैसला सुना रहे थे। इसमें उसके परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपने और अपने पति के लिए सुरक्षा की मांग की गई थी। परिवार के सदस्यों ने उनके अंतर-धार्मिक विवाह पर आपत्ति जताई थी।
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि उसकी और उसके पति की जान को खतरा है, क्योंकि उनकी शादी अंतर-धार्मिक प्रकृति की है। दूसरी ओर, याचिकाकर्ता के माता-पिता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को उसके पति के परिवार के सदस्यों द्वारा शादी के लिए उकसाया गया था।
न्यायमूर्ति मंथा ने सरकारी वकील को प्रभारी निरीक्षक, डेगंगा पुलिस स्टेशन, उत्तर 24-परगना से प्राप्त निर्देशों पर भरोसा किया। इसमें यह सत्यापित किया गया कि याचिकाकर्ता 18 वर्ष से अधिक उम्र की है।
अदालत ने इसके बाद पुलिस अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देकर दंपति को पुलिस सुरक्षा प्रदान की कि दंपति शांति से रहें।
अदालत ने टिप्पणी की,
"मामले के मद्देनजर, प्रगति मैदान पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता और उसके पति को किसी भी तरह से नुकसान न पहुंचे और वे शांति से रह सकें।"
तद्नुसार याचिका का निस्तारण किया गया।
केस शीर्षक: रोकेया खातून @ रोकैया दास बनाम पश्चिम बंगाल राज्य
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