'यह सुनिश्चित करें कि दिल्ली के लिए आक्सीजन टैंकरों के परिवहन में कोई बाधा नहीं आए': दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र से कहा, स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की चेतावनी दी
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि यदि दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की आपूर्ति अवरुद्ध है तो इसके लिए जिम्मेदार स्थानीय अधिकारियों को आपराधिक रूप से उत्तरदायी माना जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि,
"हम निर्देश देते हैं कि गैर-अनुपालन पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।"
जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस रेखा पल्ली की खंडपीठ रोहिणी के सरोज सुपर स्पेशलिटी अस्पताल द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में ऑक्सीजन की तत्काल आपूर्ति की मांग की गई। सुनवाई के दौरान एक अन्य अस्पताल खंडपीठ के सामने पेश हुआ और कहा कि उनके पास केवल 3 घंटे का ऑक्सीजन बचा है।
दिल्ली के मैक्स अस्पताल द्वारा बुधवार को इसी तरह की याचिका दायर की गई थी। इसमें केंद्र ने आश्वासन दिया था कि वह 370 मीट्रिक टन की जगह 480 मीट्रिक टन के रूप में दिल्ली के लिए ऑक्सीजन का आवंटन बढ़ाएगा।
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने आज दावा किया कि भले ही आवंटन बढ़ गया हो लेकिन वास्तव में राज्य को केवल 80-100 मीट्रिक टन ऑक्सीजन ही प्राप्त हुआ है।
खंडपीठ को सूचित किया गया कि ऑक्सीजन की कमी एयर टंकी, पानीपत आदि से भेजे जाने वाले ऑक्सीजन टैंकरों के मार्ग अवरोधित होने के कारण हो रही है।
कोर्ट को यह भी बताया गया कि केंद्र सरकार ने देश भर में मेडिकल ऑक्सीजन की निर्बाध आपूर्ति के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक आदेश पारित किया है।
आदेश के मुताबिक शहरों में ऑक्सीजन ले जाने वाले वाहनों की मुक्त आवाजाही होनी चाहिए और स्थानीय प्रशासन जैसे डीएम, एसएसपी आदेश के कार्यान्वयन के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी होंगे।
डिविजन बेंच ने इस पृष्ठभूमि में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत पारित आदेश का पालन करते हुए संबंधित अधिकारियों को सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी कहा कि गैर-अनुपालन पर आपराधिक कार्रवाई की जाएगी।
बेंच ने आदेश दिया कि,
"हम निर्देश देते हैं कि केंद्र सरकार ऑक्सीजन का आवंटन नियोजित तरीके से सुनिश्चित करेगी और टैंकरों का परिवहन बिना किसी बाधा के होगा। ऑक्सीजन को परिवहन करने वाली लॉरी को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए।"
ऑक्सीजन टैंकरों के मार्ग में रूकावट
वरिष्ठ अधिवक्ता जी. तुषार राव ने स्थिति की गंभीरता पर जोर देते हुए अदालत को बताया कि कई अस्पताल रोगियों को छुट्टी दे दे रहे हैं क्योंकि उनके पास अपने जीवन बचाने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं है।
वरिष्ठ अधिवक्ता जी. तुषार राव ने कोर्ट से कहा कि,
"अस्पतालों का यह हाल है। अस्पताल कह रहे हैं कि मरीज को बाहर ले जाओ क्योंकि हम ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं कर सकते। वे गंभीर मरीज़ को अस्पताल के बाहर जाने के लिए कैसे कहा सकते हैं।"
कोर्ट ने कहा कि यूपी और हरियाणा से भेजे जा रहे कई ऑक्सीजन टैंकरों को स्थानीय अधिकारियों द्वारा उन राज्यों में आवश्यकता को देखते हुए रोक लिया जा रहा है।
जस्टिस सांघी ने केंद्र से कहा कि,
"हमें केवल सूचित किया गया है कि प्लांट ऑक्सीजन का आवंटन सही से नहीं कर पा रहे हैंक्योंकि वे स्थानीय लोगों द्वारा उस पर कब्जा कर लिया जा रहा है और बाकी तीन प्लांट बहुत दूर हैं। इसलिए आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आपके आवंटन सुरक्षित हैं। सही से ऑक्सीजन के आवंटन का क्या मतलब है अगर उन्हें परिवहन की अनुमति नहीं दी जा रही है।"
जस्टिस सांघी ने अधिकारियों को यह भी बताया कि तकनीकी कारणों से ऑक्सीजन टैंकरों को एयरलिफ्ट करना संभव नहीं है।
न्यायमूर्ति सांघी ने कहा कि,
"मेरे शोधकर्ता ने एक बहुत अच्छी रिपोर्ट तैयार की है। मैं आपके साथ भी साझा कर रहा हूं। इसे या तो रेल या सड़क मार्ग से लाना होगा, हवा के संपीड़न के कारण इसे एयरलिफ्ट नहीं किया जा सकता है। खाली टैंकरों को वापस प्लांट में एयरलिफ्ट किया जा सकता है।"
वरिष्ठ अधिवक्ता राव ने सुझाव दिया कि सरकार अर्धसैनिक बलों को तैनात करने और टैंकरों के परिवहन के लिए एक गलियारे के लिए आदेश पारित कर सकती है।
कोर्ट के समक्ष गृह मंत्रालय के सचिव भी समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने बताया कि वह शाम तक रोके गए टैंकरों की आवाजाही को बहाल कर देंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है इसके लिए आईएएस कैडर के एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है।