कर्मचारियों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है यदि नियोक्ता उनको पात्रता से अधिक टर्मिनल लाभ प्रदान करता हैः गुजरात हाईकोर्ट ने वसूली आदेश को रद्द किया
गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद नगर निगम के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें निगम ने अपने पूर्व कर्मचारी से 63,878 रुपये की वसूली करने का निर्देश दिया था। निगम का कहना था कि इस कर्मचारी को टर्मिनल लाभ (सेवांत हितलाभ) गलत तरीके से उच्च वेतनमान पर दे दिए गए थे।
जस्टिस बीरेन वैष्णव ने हाईकोर्ट के कई फैसलों पर भरोसा किया, जहां यह माना गया है कि जब कर्मचारियों की ओर से कोई मिथ्या प्रस्तुति या धोखाधड़ी नहीं की जाती है और उसके बावजूद भी उनको अधिक राशि का भुगतान किया जाता है और यदि ऐसे कर्मचारियों को इस बात की जानकारी नहीं थी कि उन्हें भुगतान की जा रही राशि उससे अधिक है जितनी के वे हकदार थे, उन्हें नियोक्ता की ओर से की गई गलती के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है।
वर्ष 2016 में हाईकोर्ट द्वारा तय किए गए एक समान मामले में, अहमदाबाद नगर निगम ने सुनवाई का अवसर दिए बिना वेतन के गलत निर्धारण और उच्च वेतन-मान देने के कारण वेतनमान की राशि को पेंशन से वसूली का आदेश दिया था। उस मामले में यह व्यवस्था दी गई थी कि कर्मचारियों से वसूली या कोई अतिरिक्त भुगतान कानूनन खराब था।
हाईकोर्ट ने पंजाब राज्य बनाम रफीक मसीह के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले का भी उल्लेख किया, जहां यह माना गया था कि जिन मामलों में नियोक्ता द्वारा गलती से पात्रता से अधिक भुगतान किया जाता है, वहां नियोक्ताओं द्वारा वसूली कानून में अस्वीकार्य होगी जहांः (1) सेवानिवृत्त कर्मचारियों या एक वर्ष के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों से वसूली की मांग की जाती है; (2) वसूली का आदेश जारी होने से पहले पांच साल से अधिक की अवधि के लिए अतिरिक्त भुगतान किया गया है; (3) न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि यदि नियोक्ता से वसूली की जाती है, तो यह अन्यायपूर्ण या कठोर या मनमाना होगा, जो कि नियोक्ता के वसूली के अधिकार के न्यायसंगत संतुलन से कहीं अधिक होगा।
इस पृष्ठभूमि में, हाईकोर्ट ने कहा,
''याचिकाकर्ता के सेवांत हितलाभों से 63,878 रुपये की राशि की वसूली की कार्रवाई को रद्द किया जाता है। प्रतिवादी निगम को इस न्यायालय के आदेश की रिट प्राप्त होने की तिथि से दस सप्ताह की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता को 63,878 रुपये की राशि वापस करने का निर्देश दिया जाता है।''
केस टाइटल- सबीरमिया गुलामअहमद घोरी बनाम अहमदाबाद नगर निगम व एक अन्य
केस नंबर- सी/एससीए/2840/2019
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