COVID-19 संक्रमित बुजुर्ग मरीज के अस्पताल से लापता होने का मामला- "गंभीर चिंता का विषय, 27 अगस्त से पहले पता लगाएं": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिए
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को प्रयागराज जिला प्रशासन, पुलिस और टीबी सप्रू अस्पताल प्रशासन (प्रयागराज) को एक COVID-19 मरीज (82 वर्षीय) के लापता होने से संबंधित एक मामले में फटकार लगाई। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज हुए तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है।
न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रयागराज के टीबी सप्रू अस्पताल से एक 82 वर्षीय व्यक्ति की मांग की गई थी, जहां उसे COVID -19 के इलाज के लिए भर्ती कराया गया था, लेकिन कथित तौर पर लापता हो गया।
पुलिस अधीक्षक, प्रयागराज ने मामले में एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करते हुए कहा कि अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे और इसलिए चौकी प्रभारी, जो अस्पताल का दौरा किया था उसे सी.सी.टी.वी. फुटेज प्राप्त नहीं कर सके। उन्होंने कॉर्पस का पता लगाने के लिए किए जा रहे विभिन्न प्रयासों का भी उल्लेख किया।
जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज ने अपने व्यक्तिगत हलफनामे में कहा कि 18 अगस्त, 2021 को एक तथ्य-खोज जांच स्थापित की गई है। इस मामले की जांच करने और एक सप्ताह के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट, प्रयागराज को नियुक्त किया गया है।
न्यायालय की टिप्पणियां
कोर्ट ने इसे गंभीर चिंता का विषय बताते हुए कहा कि टीबी सप्रू अस्पताल, प्रयागराज के अधिकारियों/डॉक्टरों/कर्मचारियों द्वारा प्रथम दृष्टया लापरवाही दिखाई गई है।
कोर्ट ने आगे कहा,
"निर्विवाद रूप से कॉर्पस को टीबी सप्रू अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया क्योंकि वह कोरोना पॉजिटिव था। न तो जिला प्रशासन और न ही पुलिस और न ही अस्पताल कॉर्पस के लापता होने के बारे में गंभीर प्रतीत होता है, हालांकि लापता होने के तीन महीने से अधिक समय बीत चुका है। रिपोर्ट 08.05.2021 को दर्ज की गई थी। यह प्रथम दृष्टया न केवल टीबी सप्रू अस्पताल, प्रयागराज के अधिकारियों / डॉक्टरों / कर्मचारियों के लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि टीबी सप्रू अस्पताल, प्रयागराज के COVID रोगियों के उपचार, देखभाल और सुरक्षा में पूर्ण लापरवाही को भी दर्शाता है।"
कोर्ट ने इसके अलावा कहा कि इस मामले में तत्काल कार्रवाई के लिए प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य और प्रमुख सचिव गृह, उत्तर प्रदेश को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
कोर्ट द्वारा राज्य सरकार को तत्काल यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया कि सभी बुनियादी सुविधाओं और सुरक्षा उपकरणों, सुरक्षा और उच्च मानकों के सुरक्षा उपायों को इसके नियमित रखरखाव और आवधिक लेखा परीक्षा के अंतर्निहित प्रावधानों के साथ स्थापित किया जाए।
इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी गई है।
कोर्ट द्वारा अंत में उत्तर राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देशित किया गया कि अगली निश्चित तिथि (27 अगस्त) से पहले कॉर्पस का पता लगाया जाए और इस संबंध में एक रिपोर्ट इस बेंच के समक्ष रखी जाए।
केस टाइटल - राहुल यादव बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. एंड 4 अन्य