क्या राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पास कर्मचारियों की बहाली का आदेश देने का अधिकार है? दिल्ली हाईकोर्ट विचार करेगा

Update: 2022-01-19 09:46 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को उस आदेश को रद्द करने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें आयोग ने भारतीय लागत लेखा संस्थान (Institute of Cost Accounts of India) को एक संविदा कर्मचारी को बहाल करने का निर्देश दिया था।

आयोग ने आदेश दिया था कि कर्मचारी को परमानेंट किया जाए और सेवा से हटाए जाने की तारीख से अब तक के बकाया का भुगतान किया जाए।

मामला न्यायमूर्ति योगेश खन्ना के समक्ष रखा गया, जिन्होंने इस आदेश पर रोक लगा दी है।

बेंच ने कहा,

"प्रतिवादियों को 06.05.2022 तक जवाब दाखिल करने के लिए ईमेल / व्हाट्सएप सहित सभी तरीकों के माध्यम से नोटिस जारी करें और इस बीच दिनांक 22.12.2021 के आदेश पर रोक लगा दी जाएगी।"

एडवोकेट जीएस चतुर्वेदी के माध्यम से दायर याचिका में तर्क दिया गया है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर चला गया है, और निर्देश भारत के संविधान के अनुच्छेद 338 के तहत उनकी शक्तियों से परे है।

याचिका में राष्ट्रीय बीज निगम लिमिटेड बनाम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग (2013), पर भरोसा जताया गया है।

इसमें कहा गया था,

"आयोग को दी गई शक्तियां इन मामलों की जांच के प्रयोजनों के लिए एक सिविल कोर्ट की प्रक्रियात्मक शक्तियां हैं और उन उद्देश्यों के लिए सीमित हैं। आयोग को अनुच्छेद 338 के खंड 8 के तहत प्रदत्त शक्ति सिविल कोर्ट की शक्तियों के तहत अस्थायी या स्थायी प्रकृति के निषेधाज्ञा देना और अदालत जैसे पक्षों के बीच विवादों का निर्णय लेने की शक्ति प्रदान नहीं है।"

मामले को आगे की सुनवाई के लिए 06 मई, 2022 को पोस्ट किया गया है।

केस का शीर्षक: इंस्टिट्यूट ऑफ़ कॉस्ट अकाउंट्स ऑफ़ इंडिया बनाम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति एंड अन्य आयोग।

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