तलाक के मुकदमे का स्थानांतरण- पति की सुविधा पर पत्नी की सुविधा को प्राथमिकता दी जाती है : राजस्थान हाईकोर्ट
राजस्थान हाईकोर्ट (जयपुर बेंच) ने गुरुवार को तलाक के मामले को स्थानांतरित करने की मांग करने वाली एक महिला/पत्नी की याचिका पर विचार करते हुए कहा कि ऐसे मामलों में अदालतों को पति की सुविधा की तुलना में महिला वादियों की सुविधा को अधिक महत्व और उन पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।
न्यायमूर्ति चंद्र कुमार सोंगारा की पीठ ने आगे कहा, ''कानूनी कार्यवाही को एक अदालत से दूसरे में स्थानांतरित करने की अनुमति आमतौर पर उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए दी जानी चाहिए और अदालतों को महिला वादियों को अनुचित कठिनाइयों में डालने से बचना चाहिए।''
संक्षेप में मामला
प्रतिवादी-पति ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, केकरी जिला अजमेर के समक्ष हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता-पत्नी ने वाद को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, केकरी जिला अजमेर की अदालत से कोटा स्थित फैमिली कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की, जहां वह वर्तमान में रह रही है।
याचिकाकर्ता-पत्नी ने तर्क दिया कि उसकी बेटी छह साल की है और उसे निरंतर देखभाल की आवश्यकता है। इसलिए याचिकाकर्ता के लिए उसे लगभग 7-8 घंटे के लिए अकेला छोड़ना और न ही उसे अपने साथ कोर्ट ले जाना संभव है।
उसने यह भी तर्क दिया कि अजमेर जिले में स्थित केकड़ी कोर्ट उसके वर्तमान निवास स्थान से 100 किलोमीटर से अधिक की दूरी पर है और एकतरफा यात्रा में लगभग तीन से पांच घंटे लगते हैं। इसलिए, यह प्रार्थना की गई कि मुकदमा स्थानांतरित किया जाए।
दूसरी ओर, पति ने तर्क दिया कि वह अपने माता-पिता के साथ सरवर, जिला अजमेर में रह रहा है और उसे प्रति माह 6000 रुपये का वेतन मिलता है।
यह भी तर्क दिया गया कि प्रतिवादी के पिता गंभीर पीठ दर्द से पीड़ित हैं और ठीक से चलने की स्थिति में भी नहीं हैं। इसलिए प्रतिवादी के लिए अदालत की तारीखों में भाग लेने के लिए कोटा की यात्रा करना मुश्किल होगा।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने पाया कि महिला अपने माता-पिता के घर कोटा में रहती है और वह अपनी बेटी की देखभाल कर रही है। यह भी सच है कि वह कहीं भी कार्यरत नहीं है और उसके पास आय का कोई स्रोत नहीं है। इसलिए अदालत ने याचिकाकर्ता-पत्नी द्वारा दायर स्थानांतरण आवेदन को अनुमति दे दी।
कोर्ट ने आदेश दिया कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, केकरी जिला अजमेर के न्यायालय में लंबित मामले को फैमिली कोर्ट, नंबर 1, कोटा में स्थानांतरित किया जाए।
महत्वपूर्ण रूप से, यह रेखांकित करते हुए कि इस प्रकार के मामलों में, पति की सुविधा पर पत्नी की सुविधा को प्राथमिकता दी जाती है, न्यायालय ने कहा कि,
''यह अच्छी तरह से स्थापित कानूनी स्थिति है कि स्थानांतरण आवेदन की मैरिट पर विचार करने के दौरान, न्यायालयों को महिला वादियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए उसे अधिक महत्व देने की आवश्यकता होती है, और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए कानूनी कार्यवाही को एक न्यायालय से दूसरे में स्थानांतरित करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अदालतों को महिला वादियों को अनुचित कठिनाइयों में डालने से बचना चाहिए।''
केस का शीर्षक - श्रीमती एकता धधीच बनाम राजेंद्र प्रसाद शर्मा
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें