महाराष्ट्र कुश्ती संघ की शरद पवार की अगुआई वाली समिति का विघटन 'खेल भावना' के खिलाफ: बॉम्बे हाईकोर्ट ने WFI के फैसले को खारिज किया

Update: 2022-11-10 11:59 GMT

बॉम्बे हाईकोर्ट

बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र राज्य कुश्ती संघ (MSWA) की निर्वाचित कार्यकारी समिति को भंग करने के भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के फैसले रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा फैसला "अनुचित, अवैध और खेल भावना" के खिलाफ है। महाराष्ट्र राज्य कुश्ती संघ का नेतृत्व एनसीपी प्रमुख शरद पवार के हाथों में हैं।

जस्टिस संदीप के शिंदे ने कहा,

"WFI की कार्यकारी समिति का निर्णय में न केवल प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन किया गया था, बल्कि आक्षेपित निर्णय से पहले प्रक्रियात्मक निष्पक्षता को पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया था.।

राकांपा सुप्रीमो शरद पवार ने 40 से अधिक वर्षों तक MSWA समिति का नेतृत्व किया था। 4 जुलाई, 2022 को WFI ने इसे भंग नहीं कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि एसोसिएशन का निर्वाचित निकाय तब तक पद पर रहेगा जब तक उसका कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता है और अपने संविधान के अनुसार अपने दैनिक कार्यों को करेगा।

MSWA ने पिछले महीने दायर याचिका में कहा कि 30 जून को WFI की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक में उत्तर प्रदेश के भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की अध्यक्षता में कुछ टूर्नामेंट आयोजित करने में विफलता का हवाला देते हुए MSWA की समिति को भंग करने का निर्णय लिया गया। MSWA ने कहा कि निर्णय मनमाना था।

WFI की कार्यकारी समिति (EC) ने नए चुनाव कराने और इन संघों के दिन-प्रतिदिन के मामलों को चलाने के लिए तदर्थ समिति के तीन सदस्यों को नियुक्त किया। भारतीय कुश्ती महासंघ के संयुक्त सचिव को तदर्थ समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया। MSWA ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।

WFI की कार्यकारी समति ने तर्क दिया था कि MSWA के महासचिव बीएस लांडगे के खिलाफ कई शिकायतें मिली हैं और पहलवानों को MSWA में कुप्रबंधन के कारण कोई लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए, इसने सर्वसम्मति से MSWA की कार्यकारी समति को भंग कर दिया

अदालत ने कहा कि बैठक के एजेंडे में WFI की इकाई के सदस्यों को भंग करने का विषय शामिल नहीं था। अदालत ने देखा कि MSWA को नहीं सुना गया था और इसके निर्वाचित गवर्निंग काउंसिल के सदस्यों को आरोपों-सह-आरोपों से अवगत नहीं कराया गया था।

अदालत ने कहा कि बैठक में कार्यकारी समिति के सदस्य के रूप में केवल लांगडे मौजूद थे। अदालत ने कहा कि बैठक के मिनट्स यह नहीं दिखाते कि WFI के अध्यक्ष ने MSWA को भंग करने के लिए जिन सामग्र‌ियों पर भरोसा किया था, उन्हें लांगडे को दिया गया था।

अदालत ने आगे कहा कि स्थानीय पहलवानों और राज्य के अधिकारियों ने मिस्टर लांगडे के खिलाफ ही केवल शिकायत की थी, न कि MSWA की गवर्निंग काउंसिल के अन्य सदस्यों के खिलाफ।

अदालत ने कहा,

"एसोसिएशन के निर्वाचित निकाय को भंग करना और उसे हटाना एक कठोर कार्रवाई है और इसलिए WFI को निर्णय लेने से पहले याचिकाकर्ता-संघ के निर्वाचित सदस्यों को पर्याप्त अवसर देना चाहिए था।"

अदालत ने कहा कि WFI के संविधान के अनुच्छेद VI का क्‍लॉज् (बी) कार्यकारी समिति को दंड लगाने और उसे लागू करने और/या किसी भी सदस्य संघ के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई का अधिकार देता है, बशर्ते कि दो-तिहाई बहुमत सदस्य प्रस्ताव के पक्ष में हों और सुनवाई का पर्याप्त अवसर दिया गया हो।

अदालत ने कहा, "मामले में, 'पर्याप्त अवसर' को छोड़ दें, याचिकाकर्ता-संघ के परिषद सदस्यों और/या पदाधिकारियों को सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया।"

अदालत ने कहा कि कार्यकारी समिति के निर्णय को जनरल काउंसिल को अनुमोदित करना है। हालांकि रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो यह दिखाए कि काउंसिल ने निर्णय की पुष्टि की है। अदालत ने कहा कि WFI के संविधान के अनुच्छेद V(g) के तहत, केवल जनरल काउंसिल के पास तदर्थ समिति नियुक्त करने की शक्ति है।

अदालत ने कहा, "तदर्थ समिति नियुक्त करने और तदर्थ समिति को दिन-प्रतिदिन के मामलों की देखभाल करने और याचिकाकर्ता-संघ का चुनाव कराने का निर्णय समान रूप से अवैध और कानून में खराब था।"

केस टाइटल: महाराष्ट्र राज्य कुश्ती संघ बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

निर्णय पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें

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