'हिरासत अवधि पूरी होने के बाद सुधार गृह में रखने की आवश्यकता नहीं': कलकत्ता हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी महिला को उसके मूल देश भेजने की अनुमति दी
कलकत्ता हाईकोर्ट एक बांग्लादेशी नागरिक (महिला) को उसके मूल देश वापस भेजने की अनुमति दी। कोर्ट ने देखा कि उसकी हिरासत अवधि पूरी होने के बाद भी उसे सुधार गृह में रखा गया है।
याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार द्वारा इस आशय का एक प्रतिनिधित्व अस्वीकार किए जाने के बाद प्रत्यावर्तन की न्यायालय से मांग करते हुए तत्काल याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति देबांगसू बसाक ने कहा कि,
"याचिकाकर्ता को अब भारत के सुधार गृह में रहने की आवश्यकता नहीं है और चूंकि याचिकाकर्ता बांग्लादेशी नागरिक है, इसलिए याचिकाकर्ता को उसके मूल देश में वापस भेजने की अनुमति देना उचित होगा। याचिकाकर्ता को वर्तमान में सुधार गृह में रखा गया है, इसलिए सुधार गृह उसके निर्वासन के उद्देश्य के लिए उचित उपाय या कदम उठाएगा।"
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस तथ्य पर भी ध्यान दिया कि पश्चिम बंगाल सरकार के विशेष सचिव ने 13 जुलाई, 2021 को एक अभ्यावेदन दिया था जिसमें याचिकाकर्ता को हवाई मार्ग से उसके मूल देश बांग्लादेश भेजने का अनुरोध किया गया था।
कोर्ट ने सुधार गृह के अधीक्षक को याचिकाकर्ता के साथ हवाई अड्डे पर जाने के लिए उपयुक्त पुलिस कर्मियों को तैनात करने का आदेश दिया क्योंकि उसने हवाई मार्ग से बांग्लादेश की यात्रा करने की इच्छा व्यक्त की है।
कोर्ट ने आगे कहा कि,
"याचिकाकर्ता अपनी उड़ान के लिए हवाई टिकट खरीदेगी और उसे सुधार गृह के अधीक्षक के समक्ष पेश करेगा, जहां वह वर्तमान में बंद है। पुलिस अधीक्षक यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शीघ्र कदम उठाएगा कि याचिकाकर्ता ऐसी उड़ान का लाभ उठा सके।"
याचिकाकर्ता को उसके निर्वासन की प्रक्रिया के लिए संबंधित सुधार गृह के अधीक्षक को सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने का आदेश दिया गया है।
अदालत अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए 23 अगस्त को मामले की फिर से सुनवाई करेगी।
केस का टाइटल: लवली एक्टर बनाम यूनियन ऑफ इंडिया