'दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना के तहत कस्टोडियल डेथ मामलों में मुआवजे का प्रावधान है': दिल्ली विधि सेवा प्राधिकरण ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा
दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को राज्य विधि सेवा प्राधिकरण (स्टेट लीगल सर्विसेज अथॉरिटी ) को न्यायिक हिरासत में हुई कथित आरोपी (चोर) की मौत के संबंध में उसकी पत्नी के द्वारा किए गए मुआवजे के आवेदन पर शीघ्रता से कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने देखा कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 में कस्टोडियल डेथ के मामले में मुआवजे का प्रावधान है। इसको ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति प्रतिभा एम. सिंह की एकल पीठ ने आदेश दिया कि,
" राज्य विधि सेवा प्राधिकरण को याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई करने की आवश्यकता है और दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 के तहत मुआवजे के लिए प्रार्थना की गई है। डीएसएलएसए ने मुआवजे के निर्धारण की प्रक्रिया को इस तथ्य पर विचार कर सकता है कि मृतक ने न्यायिक हिरासत में अपना जीवन खो दिया है।"
कोर्ट ने कहा कि यह स्पष्ट है कि इस मुद्दे पर प्राधिकरण को दो सप्ताह की अवधि के भीतर निर्णय लेना होगा और इसे 25 मई को न्यायालय को सूचित करना होगा।
पृष्ठभूमि
मृतक (कथित चोर) की पत्नी ने याचिका दायर की थी। याचिका में हिरासत में हुई पति के मौत के लिए 1 करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मृतक (पति) को पुलिस ने प्रताड़ित किया और यहां तक कि मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने भी रिकॉर्ड किया था कि उसकी शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं है। हालांकि मृतक इस बात के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था कि लोगों ने उसे खूब पीटा है और अगले दिन उसकी मौत हो गई।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा दायर की गई स्थिति रिपोर्ट में कई चीजों की कमी है। इसके अलावा राज्य ने इसमें किसी भी योजना का उल्लेख नहीं किया है जो अंडरट्रायल आरोपी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत के संबंध में मुआवजा देने से संबंधित हो।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को इसको ध्यान में रखते हुए नोटिस जारी किया गया और प्रस्तुत किया गया कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना, 2018 के तहत कस्टोडियल डेथ मामलों में मुआवजे के अनुमोदन की अनुमति दी जाए।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने कहा कि अगर न्यायिक हिरासत में किसी की मौत होती है तो मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी / आश्रित मुआवजे के हकदार होंगे, जो न्यूनतम 3 लाख रुपये और अधिकतम 10 लाख रुपये होगा।
दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने अदालत को सूचित किया कि याचिकाकर्ता की ओर से मुआवजे के लिए कोई आवेदन प्राप्त नहीं हुआ।
याचिकाकर्ता ने इस बिंदु पर प्रस्तुत किया कि न्यायिक हिरासत में मृतक की मौत से संबंधित कोई भी दस्तावेज याचिकाकर्ता को नहीं दिया गया है और इसलिए वह मुआवजे का दावा करने में असमर्थ है।
कोर्ट ने अब दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वह याचिकाकर्ता के पति की मौत से संबंधित सभी दस्तावेज यानी एमएलसी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज जैसे चार्जशीट, ट्रायल रिकॉर्ड इत्यादि एक सप्ताह के भीतर दिल्ली राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को सौंपें ताकि डीएसएलएसए मुआवजे के लिए किए गए आवेदन पर कार्रवाई कर सके।
केस का शीर्षक: रुवे परवीन बनाम दिल्ली राज्य एंड अन्य।