दिल्ली दंगे के दौरान गन लहराने वाले शाहरुख पठान को दिल्ली कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने से इनकार किया

Update: 2020-11-11 05:51 GMT

कड़कड़डूमा कोर्ट (दिल्ली) ने सोमवार (09 नवंबर) को शाहरुख पठान को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसकी फरवरी 2020 के दौरान दिल्ली में हुए दंगे में पुलिसकर्मी की ओर बंदूक लहराते हुई एक विवादास्पद तस्वीर सोशल मीडिया / इंटरनेट पर वायरल हुई थी।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत आरोपी शाहरुख पठान खान की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे। शाहरुख ने 24.02.2020 को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास कानून व्यवस्था के लिए तैनात पुलिस अधिकारी एचसी दीपक दहिया पर फायरिंग करने का इशारा करते हुए एक पिस्टल पकड़ा और उसे उनकी तरफ तान दिया था।

पठान के खिलाफ केस

पठान के खिलाफ तत्काल मामला (एफआईआर नंबर 51/20 PS¬ जाफराबाद) आईपीसी की धारा 147 और 148, 149, 216, 186, 307, 353 और 34 आर्म्स एक्ट धारा 25 और 27 के तहत दर्ज किया गया था।

जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास उक्त घटना के बाद वह फरार हो गया था। हालांकि, एक ठोस प्रयास के बाद उसे गुप्त सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम ने 03.03.2020 को शामली बस स्टैंड, उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया था।

वारदात को अंजाम देने के बाद दिल्ली से फरार होने के लिए इस्तेमाल की गई कार को उसकी सूचना पर उत्तर प्रदेश से बरामद किया गया था। एक अन्या आरोपी कलीम, जिसने दिल्ली से भागने में शाहरूख को मदद दी थी, शुरू में फरार हो गया था लेकिन वह भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया था।

घटना के समय उनके पास से दो जिंदा कारतूस और उनके द्वारा पहनी गई शर्ट के साथ अवैध हथियार को भी पुलिस हिरासत की रिमांड के दौरान 05.03.2020 को उनके घर से बरामद किया गया था।

पठान की अर्ज़ी में गए तर्क

पठान की जमानत अर्जी में दलील दी गई थी कि घटना के स्थान पर मौजूद लोग अपने मौलिक अधिकारों का प्रयोग कर रहे थे और नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ सरकार की आलोचना कर रहे थे और आरोपी शुरू में इस मामले को शांत करने की कोशिश कर रहा था और इसके बाद जब भारी पत्थरों से हमला किया गया तो वह अपने बचाव के लिए दौड़ा।

हालांकि, यह तर्क दिया गया कि छिपने की कोई जगह नहीं मिलने के बाद उसने एक हथियार से आत्मरक्षा में गोली चला दी, जो किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा दी गई थी। आवेदक का किसी को नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।

आगे यह प्रस्तुत किया गया कि आवेदक के पिता 2018 से गठिया के एक पुराने रोगी हैं और 2019 में उनके बाएं घुटने की सर्जरी हुई थी।

यह तर्क दिया गया कि आवेदक के परिवार में केवल चार सदस्य हैं, जिसमें उसके बूढ़े और बीमार पिता, माता और एक अन्य भाई शामिल हैं, जिनका अलग-अलग निवास है और जिनका परिवार से कोई लेना-देना नहीं है।

यह भी प्रस्तुत किया गया कि आवेदक की मां यूपी के बरेली में अपनी बहन के घर रहकर सीढ़ियों से गिर गई है और उनका ऑपरेशन हुआ है।

इसलिए, यह प्रार्थना की गई थी कि आवेदक को ऑपरेशन हुई मां की देखभाल के लिए अंतरिम जमानत दी जाए, जैसे कि नियम और शर्तों के अनुसार यह उचित भी है।

कोर्ट का आदेश

न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

"आरोपी पर दंगों में भाग लेने और उसकी विधिवत पहचान करने का आरोप लगाया गया है। उस दिन की उसकी तस्वीर, जैसा कि बहादुर पत्रकार श्री सौरभ त्रिवेदी, सीनियर रिपोर्टर (द हिंदू) ने क्लिक किया है।  यह आरोपियों की संलिप्तता और आचरण के बारे में बताती है।"

इस प्रकार न्यायालय ने कहा कि,

"वर्तमान मामले की गंभीरता अभियुक्त को अंतरिम जमानत के किसी भी लाभ से इनकार करने के लिए पर्याप्त है।"

न्यायालय ने आरोपी के आचरण को भी ध्यान में रखा, क्योंकि 24.02.2020 की घटना के बाद वह फरार हो गया था।

न्यायालय ने कहा,

"आरोपी के आचरण से और जिस तरीके से वह फरार हो गया था और गिरफ्तार किया गया था, उसके बाद में पता चलता है कि उसे जमानत देना एक जोखिम है।"

कोर्ट ने कहा कि आवेदक ने नियमित जमानत की अर्जी दी, जिसे खारिज कर दिया गया। न्यायालय ने यह भी उल्लेख किया कि यहां तक ​​कि आरोपी के पिता की मेडिकल स्थिति के आधार पर स्थानांतरित की गई अंतरिम जमानत की अर्जी का भी  निपटान दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कर दिया गया।

अदालत ने यह भी देखा कि आवेदक के पिता के दाहिने घुटने की सर्जरी के लिए कोई आपात स्थिति नहीं थी।

महत्वपूर्ण रूप से पहले की अंतरिम जमानत अर्जी में, जिसे दिल्ली हाईकोर्ट के समक्ष द्वारा स्थानांतरित किया गया था, उनके पिता के कुछ नए मेडिकल पेपर दायर किए गए थे, जिनमेंं के.एस. नर्सिंग होम, ग्रेटर नोएडा, घुटने की रिप्लेसमेंट के लिए 16.06.2020 सर्जरी की अस्थाई तारीख के इलाज के तहत दिखाया गया था।

न्यायालय ने आगे कहा,

"जब उक्त नर्सिंग होम का दौरा किया गया तो  उसे डॉ. जीके नैय्यर द्वारा प्रबंधित  होना पाया गया। यह काफी अजीब है कि डॉ. जीके नैयर को बाद में  अन्य मामलों में फर्जी मेडिकल दस्तावेज़ जारी करने के लिए एफआईआर नंबर 85/2020 में  आईपीसी की धारा 420/467/468/474 आईपीसी और 120 बी आईपीसी के तहत गिरफ्तार किया गया था। "

हालाँकि, आवेदक पठान की माँ के मेडिकल दस्तावेजों को सत्यापित किया गया और सही पाया गया, लेकिन अदालत ने उल्लेख किया कि उनके पिता और रिश्तेदार माँ की देखभाल कर सकते हैं।

उपरोक्त चर्चा के मद्देनजर, अदालत ने राहत की प्रार्थना स्वीकार नहींं की। तदनुसार, आरोपी शाहरुख पठान की सीआरपीसी की धारा 439 के तहत अंतरिम जमानत अर्जी खारिज हो गई।

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