दिल्ली हिंसा : हेट स्पीच पर नेताओं के खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को करेगा सुनवाई
दिल्ली हिंसा को लेकर उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है जिसमें भाजपा नेताओं पर FIR दर्ज करने के निर्देश जारी करने की मांग की गई है जिनकी हेट स्पीच के चलते पिछले हफ्ते उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगे भड़के।
शेख मुजतबा फारूक व अन्य पीड़ितों की ओर से दाखिल इस याचिका पर उनकी ओर से पेश वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्विस नेजिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे के समक्ष याचिका का उल्लेख किया गया।
" तुरंत क्या किया जा सकता है?", CJI ने पूछा। "हम पर बहुत दबाव है, आपको पता होना चाहिए। हम इसे संभाल नहीं सकते है, " CJI ने असहाय होने का संकेत दिया।
लेकिन कॉलिन गोंजाल्विस ने यह कहकर इनकार किया कि "कई चीजें अदालतें संभाल नहीं सकती, लेकिन हम आपका मार्गदर्शन चाहते हैं।"
CJI ने तब कहा , " अदालतें कभी भी इस तरह की चीजों को रोकने में सक्षम नहीं हैं। हम शांति की कामना करेंगे, लेकिन हमारी शक्ति की कुछ सीमाएं हैं।"
"लेकिन हम स्थिति को बिगड़ने से रोक सकते हैं, " कॉलिन ने उत्तर दिया। इसके बाद, CJI ने मामले को बुधवार को सूचीबद्ध करने की सहमति जताई।
याचिका में भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और अभय वर्मा के खिलाफ FIR दर्ज कर जांच हो। साथ ही दिल्ली के बाहर के अफसरों की SIT से जांच कराने की मांग भी की गई है। याचिका में कहा गया है कि पीड़ितों को असाधारण मुआवजा दिया जाए और कानून- व्यवस्था बनाए रखने के लिए सेना से अनुरोध किया जाए। साथ ही इलाके के CCTV सरंक्षित करने और पीड़ितों को उचित मेडिकल सुविधा व मृत लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट देने का निर्देश भी देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में पुलिस की भूमिका की किसी रिटायर्ड जज की कमेटी से जांच कराने को भी कहा गया है।
दरअसल 27 फरवरी को, दिल्ली उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की रिपोर्ट के आधार पर 13 अप्रैल तक हर्ष मंदर द्वारा दायर एक ऐसी ही याचिका की सुनवाई टाल दी थी कि " अभी एफआईआर दर्ज करने के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है।"
जबकि 26 फरवरी को जस्टिस डॉ एस मुरलीधर और जस्टिस तलवंत सिंह की एक अन्य पीठ ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वह भड़काऊ भाषण देने के संबंध में एफआईआर दर्ज करने के एक दिन के भीतर "सचेत निर्णय" ले, जिसमें बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, प्रवेश वर्मा, कपिल मिश्रा और अभय वर्मा तक ही सीमित ना हों।
आदेश पारित करने से पहले न्यायमूर्ति मुरलीधर की अगुवाई वाली पीठ ने पुलिस को देखने के लिए अदालत में उक्त नेताओं के भाषण वाले वीडियो चलाए थे।
"एफआईआर दर्ज करने में हर दिन की देरी महत्वपूर्ण है। जितनी अधिक आप देरी करते हैं, उतनी ही अधिक समस्याएं पैदा हो रही हैं, " न्यायमूर्ति मुरलीधर ने त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता पर जोर दिया था।
लेकिन अगले दिन एक अन्य पीठ ने मामले को 13 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।