दिल्ली दंगे: अदालत ने दिल्ली पुलिस पर हमला करने वाले छह लोगों के खिलाफ आरोप तय किए

Update: 2022-04-06 06:30 GMT

दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले में छह लोगों के खिलाफ आरोप तय किए। इस मामले में शहर के खजूरी खास और भजनपुरा इलाकों में तोड़फोड़, आगजनी करने और पुलिसकर्मियों को चोट पहुंचाने का आरोप लगाया गया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र भट ने इसके साथ ही सबूतों के अभाव में चार अन्य को आरोपमुक्त कर दिया।

हेड कांस्टेबल अनिल कुमार के बयान के आधार पर 2020 पीएस खजूरी खास की एफआईआर 98 दर्ज की गई। अनिल कुमार अन्य कर्मचारियों के साथ दंगों को नियंत्रित करने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए उक्त क्षेत्रों में ड्यूटी पर थे।

एफआईआर में आरोप लगाया गया कि भीड़ ने तोड़फोड़ की और विभिन्न दुकानों, रेहड़ियों और पुलिस बूथ भजनपुरा में आग लगा दी। उक्त भीड़ द्वारा किए गए पथराव में कई आम लोगों के साथ-साथ पुलिस कर्मियों के घायल होने की बात कही गई।

कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 147, 148, 186/ली, 188, 332, 353, 427, 436 और सपठित धारा 149 और पीडीपीपी अधिनियम की धारा 3 और 4 के तहत सरफराज, फिरोज, इकराम, मुस्तकीम, गुलफाम@जुबैर और सद्दाम@इकरार के खिलाफ आरोप तय किए। हालांकि सह-आरोपी गुलफाम, जावेद, अनस और शोएब आलम को सभी अपराधों से मुक्त कर दिया।

सरफराज और फिरोज की ओर से पेश वकीलों ने उनके खिलाफ आरोप तय करना स्वीकार कर लिया। इस पर अदालत ने कहा कि आरोपी सरफराज दंगाइयों में से एक है, जिसे मौके पर ही पकड़ लिया गया। यह भी नोट किया गया कि मौके पर ही पकड़े गए शेष दो दंगाई इकराम और मुस्तकीम थे।

कोर्ट ने कहा,

"नौ पुलिस अधिकारियों ने इन तीनों आरोपियों सरफराज, इकराम और मुस्तकीम को 24.02.2020 को गैरकानूनी सभा के सदस्यों के रूप में पहचाना है, जो करावल नगर में तोड़फोड़ और आगजनी के लिए जिम्मेदार है। इसमें पुलिस बूथ करावल नगर को आग लगा दी गई। इन सभी नौ पुलिस अधिकारियों को दंगाइयों की भीड़ द्वारा किए गए पथराव में चोटें आई। यह उनके एमएलसी रिकॉर्ड में हैं, जो घटना में उनके द्वारा हुई चोटों को दर्शाते हैं। इस प्रकार, यह प्रथम दृष्टया स्पष्ट है कि ये पुलिस अधिकारी ड्यूटी पर मौजूद थे, जिसके चलते ये मौके पर दंगाइयों को देख और उन्हें पहचान सके।"

इसमें कहा गया,

"इन पुलिस अधिकारियों के बयानों से यह प्रकट होता है कि आरोपी सरफराज, इकराम और मुस्तकीम उपरोक्त दंगाई भीड़ के सदस्य थे। इस स्तर पर यह बताने के लिए रिकॉर्ड में कुछ भी नहीं है कि ये तीनों आरोपी केवल दर्शक। सभा का सामान्य उद्देश्य तोड़फोड़ और आगजनी करना था। इसलिए, इकराम और मुस्तकीम के खिलाफ भी आरोप तय किए जाने योग्य हैं। "

अदालत ने यह भी कहा कि जिन अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए हैं, उनकी पहचान पुलिस कर्मियों के साथ-साथ कुछ सरकारी गवाहों ने भी की है।

अनस, जावेद, शोएब आलम और गुलफाम नाम के चार आरोपियों के बारे में अदालत ने कहा कि उन्हें आरोपी फिरोज के खुलासे के बयान के आधार पर गिरफ्तार किया गया। उनकी पहचान दंगाइयों के रूप में हुई, जिन्होंने उपरोक्त वीडियो फुटेज में उनकी पहचान की थी।

अदालत ने कहा,

"कोई अन्य गवाह नहीं है, जिसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इन चारों आरोपियों को 24.02.2020 को गैरकानूनी सभा के सदस्यों के रूप में देखा या पहचाना हो।"

इसमें कहा गया,

"जब एक गैरकानूनी सभा या बड़ी संख्या में लोग आगजनी या दो समूहों के बीच संघर्ष में भाग लेते हैं तो किसी व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए अभियोजन पक्ष के कम से कम दो गवाहों को संबंधित व्यक्तियों की भूमिका और भागीदारी का समर्थन और पहचान करनी होती है।"

इसी के तहत चारों को आरोप मुक्त कर दिया गया।

अधिवक्ता तारा नरूला और तमन्ना पंकज ने आरोप मुक्त गुलफाम और शोएब आलम का प्रतिनिधित्व किया।

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