दिल्ली हाईकोर्ट ने नेहरू प्लेस मार्केट में आग लगने की घटना पर स्वत: संज्ञान लिया

Update: 2021-08-17 07:32 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने नेहरू प्लेस में स्थित इमारत में जिला वाणिज्यिक केंद्र के दफ्तर में आग लगने की घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पिछले सप्ताह दिल्ली पुलिस और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि दैनिक आधार पर कोई हॉकिंग और वेंडिंग (ठेली लगाने और फुटकर विक्रेता) नीति न हो।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने एसडीएमसी, दिल्ली पुलिस और दिल्ली विकास प्राधिकरण को एक संयुक्त बैठक आयोजित करने को कहा।

इसके साथ ही सुनवाई की अगली तारीख 24 अगस्त तक नो-हॉकिंग नो-वेंडिंग नीति के कार्यान्वयन के संबंध में स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

बेंच ने कहा,

"स्टेटस रिपोर्ट में कार्यरत ऐसी सभी एजेंसियों के विवरण का खुलासा होना चाहिए। साथ ही यह भी खुलासा होना चाहिए कि डीडीए या एसडीएमसी किस प्राधिकरण से काम करवा रहा है।"

अदालत ने कहा कि एसडीएमसी के संबंधित एसएचओ, पीएस कालकाजी और कार्यकारी अभियंता उनके निर्देश का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे। अगर वे ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उनके खिलाफ अदालत द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अदालत ने पाया कि फेरीवालों और विक्रेताओं ने पैदल चलने वालों के लिए छोड़ी गई फुटपाथ की जगह पर कब्जा कर लिया।

सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो में देखा गया था कि इसके चलते दमकल गाड़ियों के लिए उस इमारत तक पहुंचना मुश्किल था, जहां आग लगी थी।

बेंच ने कहा,

"नेहरू प्लेस क्षेत्र में फेरीवालों और विक्रेताओं की समस्या की विकरालता को सोशल मीडिया पर प्रसारित एक वीडियो से देखा जा सकता है। वीडियो में दिखाता है कि दमकल गाड़ियों के लिए उस इमारत तक पहुंचना मुश्किल था जहां आग लगी थी। यह भी दिखाता है कि क्षेत्र में नगरपालिका अधिकारियों की ओर से किसी भी तरह की सफाई या रखरखाव का पूर्ण अभाव है।"

संबंधित क्षेत्र के एसएचओ द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि न्यायालयों द्वारा फेरीवालों और विक्रेताओं के पक्ष में दिए गए कई आदेशों के कारण उक्त विक्रेताओं को क्षेत्र को नो हॉकिंग और नो वेंडिंग जोन घोषित किए जाने के बावजूद हटाया नहीं गया था।

कोर्ट ने शुरुआत में कहा,

"हमें यह समझना मुश्किल है कि कोई भी व्यक्ति, जो अदालत के आदेशों से सुरक्षित नहीं है, किसी भी स्थान पर कब्जा करना जारी रख सकता है। साथ ही संबंधित स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना रेहडी पर बिक्री कैसे कर सकता है।"

बेंच ने आगे कहा,

"स्टेटस रिपोर्ट में स्टे के सभी आदेशों का भी खुलासा होना चाहिए। इसके बारे में दावा किया जाता है कि यह कारण कि सभी अतिक्रमणकारियों, फेरीवालों और विक्रेताओं को उक्त क्षेत्र से नहीं हटाया जा रहा है, जबकि इसे नो-हॉकिंग नो-वेंडिंग ज़ोन घोषित किया गया है।"

मामले की तात्कालिकता के संबंध में न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी विभाग को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए और समय नहीं दिया जाएगा।

बेंच ने कहा,

"यदि स्थिति रिपोर्ट दायर नहीं की जाती है, तो आयुक्त, दिल्ली पुलिस; आयुक्त, एसडीएमसी; और उपाध्यक्ष, डीडीए, जैसा भी मामला हो, सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहेंगे।"

शीर्षक: कोर्ट ऑन इट्स ओन मोशन बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली सरकार और अन्य

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