सी-सेक्शन के दौरान महिला के पेट में कॉटन मॉप छूटने का मामला: हाईकोर्ट ने अस्पताल और डॉक्टर को राहत दी

Update: 2025-12-12 12:42 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक निजी अस्पताल और उसकी सीनियर गायनाकोलॉजिस्ट के खिलाफ दर्ज FIR रद्द की, जिसमें उन पर सी-सेक्शन सर्जरी के दौरान महिला के पेट में कॉटन मॉप छोड़ देने का आरोप लगाया गया था।

कोर्ट ने कहा कि यह मामला अधिकतम सिविल दायित्व का हो सकता है लेकिन यह आपराधिक दायित्व के स्तर तक नहीं पहुंचता।

जस्टिस अमित महाजन ने कहा कि इस घटना को लेकर की गई लापरवाही गंभीर अवश्य है लेकिन इससे आपराधिक मुकदमे का आधार नहीं बनता। अस्पताल और डॉक्टर द्वारा दायर याचिका में यह बताया गया कि दोनों पक्षों के बीच मामला सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझ चुका है।

महिला ने अदालत को सूचित किया कि उसे 14 लाख रुपये का मुआवजा मिल चुका है और वह इस FIR से उत्पन्न किसी भी कार्रवाई को आगे नहीं बढ़ाना चाहती।

मामला उस शिकायत पर आधारित है जिसमें महिला ने आरोप लगाया कि सी-सेक्शन के दौरान उसके पेट में एक कॉटन मॉप छूट गया, जिसके कारण उसे गंभीर संक्रमण और पस जमा होने की समस्या हुई तथा एक अन्य अस्पताल में दूसरी बड़ी सर्जरी करानी पड़ी।

FIR में आईपीसी की धारा 336, 337 और 34 शामिल की गई थीं जो जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने तथा लापरवाही से चोट पहुंचाने से संबंधित हैं।

कोर्ट ने कहा कि अस्पताल और डॉक्टर दोनों दिल्ली मेडिकल काउंसिल की अनुशासनात्मक समिति के समक्ष पेश हुए थे। मेडिकल राय में यह दर्ज किया गया कि पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि में अस्पताल और डॉक्टर द्वारा उचित प्रबंधन प्रोटोकॉल का पालन किया गया और समय पर सर्जिकल रेफ़रल किया गया।

यह भी निष्कर्ष निकला कि डॉक्टर से अपेक्षित सावधानी में कमी जरूर थी, लेकिन उनका आचरण न तो लापरवाही के आपराधिक स्तर का था, न ही जानबूझकर किया गया।

दिल्ली मेडिकल बोर्ड ने भी बाद में इस निष्कर्ष की पुष्टि की। अदालत ने यह टिप्पणी की कि वह मरीज के दर्द और असुविधा को पूरी तरह समझती है, क्योंकि किसी विदेशी वस्तु का अनजाने में पेट में रह जाना अत्यंत चिंताजनक और निंदनीय है।

हालांकि रिकॉर्ड से स्पष्ट है कि घटना अनजाने में हुई चूक थी जिसमें आपराधिक इरादा या वह गंभीर लापरवाही नहीं थी जो आपराधिक मुकदमे की कसौटी पर खरी उतर सके।

जस्टिस महाजन ने अस्पताल और डॉक्टर पर 25,000 रुपये की लागत लगाने का आदेश दिया जिसे दिल्ली पुलिस मार्टियर्स फंड में जमा कराया जाएगा। इसके साथ ही FIR रद्द कर दी गई।

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