हम तो नगर निगम आयुक्त बना दिए गए: तिहाड़ जेल की सीवर समस्या पर हाईकोर्ट ने PWD को फटकार लगाई
दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल में सीवर लाइनों की सफाई और निकासी की समस्या को लेकर दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग (PWD) को कठघरे में खड़ा किया और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत को नगर निगम आयुक्त बना दिया गया है।
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे आजीवन कारावास की सजा काट रहे सोनू दहिया ने दायर किया। याचिका में तिहाड़ जेल में गंदगी और सीवर जाम की समस्या के कारण अस्वच्छ परिस्थितियों की ओर ध्यान आकर्षित किया गया।
सुनवाई के दौरान पीठ ने PWD के कार्यपालक अभियंता से सवाल किया कि 2024 में डाली गई सीवर लाइनें अभी तक मुख्य सीवर लाइन से क्यों नहीं जोड़ी गईं।
अदालत ने कहा,
“आपको जेल प्रशासन की ओर से कई बार पत्र लिखे गए, लेकिन न तो सीवर को जोड़ा गया और न ही सफाई की गई। आपको मार्च से समस्या की जानकारी थी। फिर समय रहते कार्रवाई क्यों नहीं की गई? क्या हमें नगर निगम की भूमिका निभानी चाहिए?”
अदालत ने आगे कहा कि कैदियों को सीवर चोक और सफाई न होने से गंभीर स्वच्छता संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और PWD ने टेंडर मोनसून के बीच में फ्लोट किया। अदालत ने नाराज़गी जताते हुए पूछा कि क्या संबंधित अधिकारियों को अदालत में तलब किया जाए।
PWD के अधिकारी ने अदालत को बताया कि फिलहाल अस्थायी तौर पर सीवर की सफाई शुरू कर दी गई और यह कार्य 25 अगस्त तक पूरा कर लिया जाएगा। वर्तमान में एक सुपरसकर मशीन लगाई गई है लेकिन जल्द ही और मशीनें लगाई जाएंगी ताकि समय पर कार्य पूरा हो सके।
उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि 2024 में बिछाई गई सीवर लाइनें चार हफ्तों के भीतर मुख्य सीवर से जोड़ दी जाएंगी, क्योंकि इसका टेंडर अंतिम चरण में है।
केस टाइटल: Sonu Dahiya v. State