वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर कोर्ट में पेशी के दौरान पार्क में बैठी थी वकील, हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

Update: 2025-06-30 09:44 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला वकील को पार्क से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश होने पर फटकार लगाते हुए एक बार फिर राजधानी के सभी बार संघों से आग्रह किया कि वे अपने सदस्यों को अदालत में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के शिष्टाचार के प्रति जागरूक करें।

जस्टिस गिरीश कठपालिया ने कहा कि COVID-19 महामारी के दौरान वकीलों की सुविधा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा शुरू की गई थी ताकि वे अपने कार्यालय से ही अदालत में पेश हो सकें लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि वे पार्क में खड़े होकर पेश हों।

महिला वकील मोबाइल फोन के माध्यम से पार्क में घूमते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर पेश हुईं। जब अदालत ने पूछा तो उन्होंने बताया कि वह आगरा कोर्ट में खड़ी हैं। इस पर जज ने कहा कि बार को कई बार निर्देश देने के बावजूद कुछ वकील अदालत की गरिमा को समझने में विफल रहे हैं।

कोर्ट ने कहा,

“वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा COVID महामारी के दौरान इसीलिए शुरू की गई थी ताकि वकील अपने कार्यालय से पेश हो सकें और उन्हें दिल्ली के विभिन्न कोर्ट परिसरों में भागदौड़ न करनी पड़े। लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे पार्क में खड़े होकर पेश हों।”

कोर्ट ने यह भी कहा,

“पहले भी इस प्रकार के निर्देश सभी बार संघों को भेजे गए थे और उनसे अनुरोध किया गया था कि वे अपने सदस्यों को जागरूक करें। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह कार्य अब तक नहीं हुआ है।”

हालांकि अदालत ने वकील की उपस्थिति दर्ज नहीं की लेकिन यह मानते हुए कि गलती की सजा मुकदमेबाज को नहीं मिलनी चाहिए। उसने जमानत याचिका पर सुनवाई की और नोटिस जारी किया।

यह जमानत याचिका सूरज दास की ओर से दायर की गई थी, जिस पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498A, 304B और 34 के तहत मामला दर्ज है।

अदालत ने दिल्ली पुलिस से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देते हुए कहा,

“इस आदेश की प्रति दिल्ली की सभी बार एसोसिएशनों को भेजी जाए और उनसे अपने सदस्यों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होने के शिष्टाचार के प्रति फिर से जागरूक करने का अनुरोध किया जाए।”

इससे पहले भी अदालत ने चलती गाड़ी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने वाले वकील पर नाराजगी जताई थी और कहा था कि ऐसा करना न्यायिक प्रक्रिया की औपचारिकता को कमजोर करता है।

केस टाइटल: सूरज दास बनाम राज्य, एनसीटी दिल्ली

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