दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल्स से दिवंगत वकीलों के परिवारों को आर्थिक सहायता की नीति बनाने को कहा

Update: 2025-09-29 06:59 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) और बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) को निर्देश दिया कि वे ऐसी नीति या योजना तैयार करें जिससे दिवंगत वकीलों के परिवारों को आर्थिक मदद मिल सके।

चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि वकीलों की आमदनी पूरी तरह उनके पेशेवर कामकाज पर निर्भर करती है। उनके निधन के बाद परिवार के पास कोई वित्तीय सहारा नहीं रहता।

अदालत ने टिप्पणी की, 

“BCI और BCD से अनुरोध है कि वे कोई ऐसी नीति या योजना बनाएं, जिससे वकीलों के परिवार उनके निधन के बाद दयनीय स्थिति में न पहुंचें। अधिकांश वकील और उनके परिवार केवल पेशे से होने वाली आमदनी पर निर्भर रहते हैं और दुर्भाग्यवश वकील के निधन की स्थिति में उनके पास कोई स्थायी आर्थिक सहायता नहीं होती।”

यह आदेश उस अपील की सुनवाई के दौरान दिया गया, जो एक दिवंगत वकील की मां ने दाखिल की थी। उन्होंने दिल्ली सरकार से मुख्यमंत्री एडवोकेट वेलफेयर स्कीम के तहत 10 लाख के जीवन बीमा दावे के भुगतान की मांग की थी।

राहत यह कहते हुए ठुकरा दी गई कि बीमा कवरेज केवल पॉलिसी सक्रिय होने पर लागू होता है। इस मामले में वकील की मृत्यु 20 अगस्त, 2023 को हुई, जबकि उनकी पॉलिसी 20 अक्टूबर, 2023 से सक्रिय हुई।

हाईकोर्ट ने कहा कि अपीलकर्ता अधिवक्ता कल्याण कोष के दायरे में भी नहीं आतीं, क्योंकि इस फंड का लाभ केवल वकील के जीवनकाल में ही उपलब्ध होता है।

अदालत को बताया गया कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली ने अपीलकर्ता को दो साल तक मासिक आर्थिक सहायता देने की व्यवस्था की।

इसलिए हाईकोर्ट ने कोई अनुकूल आदेश पारित करने से इनकार किया। हालांकि, अपीलकर्ता को BCI या BCD से अधिवक्ता कल्याण कोष के तहत लाभ पाने के लिए संपर्क करने की स्वतंत्रता दी।

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