दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली नर्सिंग काउंसिल में रजिस्टर्ड नर्सों के लिए मतदान के अधिकार की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया

Update: 2021-10-25 08:29 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को एक गैर सरकारी संगठन इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर नोटिस जारी किया। इस याचिका में दिल्ली नर्सिंग काउंसिल में रजिस्टर्ड सभी नर्सों को इसके पदाधिकारियों और कार्यकारी समिति के चुनाव में मतदान का अधिकार देने की मांग की गई है।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने इसके बाद मामले को 13 दिसंबर को सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।

पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील रॉबिन राजू को सुना। उन्होंने कहा कि काउंसिल के कामकाज में "लोकतंत्र" होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि काउंसिल में रजिस्टर्ड नर्सों के कल्याण के लिए दिल्ली नर्सिंग काउंसिल का गठन किया गया है इसलिए, उन्हें इसके कामकाज में अपने बात रखने का अधिकार होना चाहिए।

उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई आरटीआई के माध्यम से यह सामने आया है कि नर्सों के लिए सुविधाओं का अभाव है।

उन्होंने कहा,

"हम COVID-19 योद्धाओं के बारे में बात कर रहे हैं। नर्सें मेडिकल क्षेत्र की रीढ़ हैं।"

उन्होंने आगे कहा कि पेशेवरों के कल्याण के लिए गठित सभी संगठनों में चाहे वह डॉक्टर हों या अधिवक्ता सदस्यों को उनके संबंधित संगठनों में मतदान की शक्ति दी जाती है।

याचिका में कहा गया,

"दिल्ली में रजिस्टर्ड डॉक्टर दिल्ली मेडिकल काउंसिल के सदस्यों का चुनाव करने के लिए वोट करते हैं। इसी तरह एडवोकेट और चार्टर्ड अकाउंटेंट वोटिंग के माध्यम से बार काउंसिल ऑफ दिल्ली और इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया में अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं। इसलिए, नर्सिंग अधिकारियों को अधिकार से वंचित करने के लिए दिल्ली नर्सिंग काउंसिल के सदस्यों का चुनाव करना स्पष्ट रूप से मनमाना है। साथ ही यह लोकतंत्र, निष्पक्षता और समानता के सिद्धांतों के खिलाफ भी है।"

दिल्ली नर्सिंग काउंसिल दिल्ली नर्सिंग काउंसिल एक्ट, 1997 द्वारा गठित एक वैधानिक निकाय है। काउंसिल की देखरेख स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, दिल्ली सरकार द्वारा की जाती है।

नर्सिंग अधिकारियों द्वारा सामना की जाने वाली कई चिंताओं को उजागर करते हुए याचिका में नर्सिंग काउंसिल में सदस्यों को नामित करने की प्रक्रिया के संबंध में दिल्ली नर्सिंग काउंसिल अधिनियम, 1997 में संशोधन लाने की सख्त आवश्यकता का मुद्दा उठाया गया है।

याचिका में कहा गया है,

"दिल्ली नर्सिंग काउंसिल में रजिस्टर्ड लगभग 90,000 नर्सों को उनके कल्याण के लिए काम करने के लिए गठित निकाय के प्रतिनिधियों को चुनने का कोई अधिकार नहीं है।"

इस पृष्ठभूमि में याचिका प्रस्तुत करती है कि काउंसिल द्वारा अपनाई गई उक्त प्रथा इस तथ्य की अनदेखी करती है कि भारतीय नर्सिंग काउंसिल अधिनियम, 1947, जो भारतीय नर्सिंग काउंसिल का गठन करता है, की धारा तीन के आधार पर प्रावधान है कि भारतीय नर्सिंग काउंसिल उन सदस्यों से बनी होगी जिन्हें संबंधित निकायों द्वारा चुना जाना चाहिए।

याचिका में कहा गया,

"इस प्रकार याचिकाकर्ता की यह समझ है कि केंद्रीय अधिनियम नामांकन के बजाय चुनाव प्रणाली का समर्थन करता है।"

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि एसोसिएशन दो जून, 2021 को प्रतिवादियों को भेजे गए अंतिम प्रतिनिधित्व सहित पिछले दो वर्षों से मुद्दों को उठा रहा है। हालांकि, याचिकाकर्ता संघ का मामला है कि इस मामले में कोई सुधारात्मक कदम नहीं उठाया गया।

याचिका में कहा गया,

"अपने प्रतिनिधियों को चुनने के अधिकार से केवल नर्सों को वंचित करना (जैसा कि अन्य पेशेवरों को उक्त अधिकार है) संविधान के अनुच्छेद 14 और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन करता है।"

याचिका में दिल्ली नर्सिंग काउंसिल को अपनी वेबसाइट पर वार्षिक ऑडिट किए गए खातों को प्रकाशित करने के लिए एक और निर्देश देने की भी मांग की गई।

केस टाइटल: इंडियन प्रोफेशनल नर्सेज एसोसिएशन (आईपीएनए) बनाम दिल्ली नर्सिंग काउंसिल और अन्य।

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