हम उम्मीद करते हैं कि राज्य आपातकालीन पैरोल आवेदनों पर निर्णय लेने में अधिक तत्परता दिखाएगा : दिल्ली हाईकोर्ट
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह उम्मीद करता है कि राज्य आपातकालीन पैरोल देने के लिए कैदियों के आवेदनों पर निर्णय लेने में अधिक तत्परता दिखाएगा।
न्यायमूर्ति सुब्रमोनियम प्रसाद ने हाल ही में आशुतोष तिवारी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी यह की। इस मामले में राज्य को 90 दिनों की अवधि के लिए आपातकालीन पैरोल पर रिहा करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
तिवारी ने मई, 2021 में आपातकालीन पैरोल देने के लिए एक आवेदन दायर किया था। हालांकि, अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद ही अक्टूबर के महीने में इस पर फैसला किया गया।
अदालत ने कहा,
"यह अदालत उम्मीद करती है कि राज्य आपातकालीन पैरोल के आवेदन पर निर्णय लेने में अधिक तत्पर होगा।"
सितंबर में कोर्ट ने राज्य को याचिकाकर्ता के आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया था। यह समय दो सप्ताह से अधिक का नहीं होना था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता हर्ष प्रभाकर ने अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया कि आवेदन पर निर्णय लिया गया और आदेश दिनांक 06.10.2021 के तहत खारिज कर दिया गया।
उसी के मद्देनजर, अदालत के समक्ष एक उपयुक्त याचिका दायर करके पैरोल की अस्वीकृति को चुनौती देने की स्वतंत्रता के साथ तत्काल याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी गई।
अदालत ने आदेश दिया,
"जैसा कि प्रार्थना की गई है, स्वतंत्रता प्रदान की जाती है। याचिका को वापस लेने के रूप में खारिज कर दिया जाता है।"
राज्य की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील ऋचा कपूर पेश हुईं।
केस शीर्षक: आशुतोष तिवारी @ सोनू बनाम एनसीटी ऑफ दिल्ली
ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें