हाईकोर्ट ने पीएम मोदी की डिग्री संबंधी जानकारी के खुलासे के खिलाफ दाखिल दिल्ली यूनिवर्सिटी की याचिका पर फैसला टाला

Update: 2025-08-20 10:41 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने उस याचिका पर फैसला सोमवार तक के लिए टाल दिया, जिसमें देहली यूनिवर्सिटी (DU) ने केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) के आदेश को चुनौती दी है। CIC ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्नातक डिग्री संबंधी जानकारी उजागर करने का निर्देश दिया था।

जस्टिस सचिन दत्ता ने अदालत नहीं लगाई, क्योंकि वह UAPA ट्रिब्यूनल में बैठे हुए थे। कोर्ट मास्टर ने वकीलों को सूचित किया कि आदेश अब 25 अगस्त को सुनाया जाएगा।

दिल्ली यूनिवर्सिटी ने 2017 में CIC के आदेश के खिलाफ यह याचिका दाखिल की थी। CIC ने अपने आदेश में 1978 में BA प्रोग्राम पास करने वाले स्टूडेंट्स के रिकॉर्ड देखने की अनुमति दी थी, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी परीक्षा पास करने की बात कही जाती है। हाईकोर्ट ने पहली सुनवाई के दिन यानी 24 जनवरी 2017 को इस आदेश पर रोक लगा दी थी।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यूनिवर्सिटी की ओर से पेश होकर कहा कि CIC का आदेश रद्द किया जाना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि यूनिवर्सिटी को अदालत को रिकॉर्ड दिखाने पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस तरह का रिकॉर्ड किसी अजनबी को जांचने के लिए नहीं दिया जा सकता। उन्होंने यह दलील भी दी कि केवल जिज्ञासा किसी को सूचना के अधिकार (RTI) मंच पर जाने का आधार नहीं बन सकती।

वहीं RTI आवेदक नीरज कुमार की ओर से सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े पेश हुए। उन्होंने कहा कि इस तरह की जानकारी सामान्यत: किसी भी यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित की जाती है। इसे नोटिस बोर्ड वेबसाइट या अख़बारों में साझा किया जाता रहा है।

उन्होंने SG मेहता के इस तर्क का विरोध किया कि यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स की जानकारी निष्ठाभारित आधार पर रखता है और इसे अजनबियों के साथ साझा नहीं किया जा सकता।

विवाद की पृष्ठभूमि

RTI एक्टिविस्ट नीरज कुमार ने आवेदन दाखिल कर 1978 में BA परीक्षा में शामिल सभी स्टूडेंट्स के परिणाम मांगे थे, जिसमें उनका रोल नंबर, नाम, अंक और पास/फेल की स्थिति शामिल हो।

दिल्ली यूनिवर्सिटी के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी (CPIO) ने इसे थर्ड पार्टी सूचना बताते हुए देने से मना कर दिया। इसके बाद RTI एक्टिविस्ट ने CIC के पास अपील दायर की।

CIC ने 2016 में अपने आदेश में कहा कि स्टूडेंट्स की शिक्षा से संबंधित जानकारी सार्वजनिक क्षेत्र के दायरे में आती है। इसे उजागर किया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि यूनिवर्सिटी एक सार्वजनिक निकाय है और डिग्री संबंधी सभी जानकारी उसके रजिस्टर में दर्ज होती है, जो सार्वजनिक दस्तावेज है।

हाईकोर्ट में DU ने यह स्वीकार किया कि उसे उस परीक्षा में शामिल, पास या फेल हुए कुल छात्रों की संख्या बताने में कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन उसने सभी छात्रों के नाम, रोल नंबर, पिता का नाम और अंकों की जानकारी देने का विरोध किया। यूनिवर्सिटी का तर्क था कि यह व्यक्तिगत जानकारी है और प्रत्ययी क्षमता में रखी जाती है। इसलिए इसे साझा नहीं किया जा सकता।

टाइटल: University of Delhi v. Neeraj and other connected matters

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