दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र को गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के लिए ऊंटों के परिवहन के दौरान कानून का पालन करने का निर्देश दिया

Update: 2022-09-05 05:17 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 (Prevention of Cruelty to Animals Act, 1960) का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करे और साथ ही गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेने के उद्देश्य से शहर में ऊंटों को ले जाते समय पशुओं के प्रति क्रूरता की रोकथाम (पशुओं का परिवहन) नियम, 2020 में संशोधन करे।

चीफ जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने भारतीय पशु कल्याण बोर्ड, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के साथ-साथ सीमा सुरक्षा बल को ऊंटों के परिवहन के मामले में क्षेत्र को नियंत्रित करने वाले नियमों सपठित एसओपी का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।

इस प्रकार न्यायालय ने स्काउट्स एंड गाइड्स फॉर एनिमल्स एंड बर्ड्स नामक ट्रस्ट द्वारा दायर जनहित याचिका का निपटारा किया, जिसमें राजस्थान राज्य से शहर में ऊंटों के परिवहन का आरोप लगाया गया था, जो पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के तहत निहित वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन है।

याचिकाकर्ता ट्रस्ट ने कहा कि हर साल स्वतंत्रता दिवस परेड के दौरान, बड़ी संख्या में ऊंटों को मालवाहक में ले जाया जाता है, जिससे उन्हें क्रूरता का सामना करना पड़ता है और समय-समय पर विभिन्न अधिकारियों को विभिन्न अभ्यावेदन प्रस्तुत करने के बावजूद, उन पर ध्यान नहीं दिया जाता।

यह दावा किया गया कि वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए हर साल लगभग 100 ऊंट माल परिवहन वाहनों में दिल्ली लाए जाते हैं।

AWBI द्वारा दायर हलफनामे के अनुसार, यह कहा गया कि केंद्र के पास यह अनिवार्य करने वाला कानून है कि रेल या सड़क मार्ग से जानवरों के परिवहन के साथ एनिमल मेडिकल सर्टिफिकेट होना चाहिए कि वे यात्रा करने के लिए उपयुक्त हैं।

केंद्र के वकील ने अदालत को बताया कि ऊंटों का परिवहन वैधानिक प्रावधानों के अनुसार हो रहा है और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऊंटों के परिवहन के संबंध में किसी भी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन न हो।

कोर्ट ने कहा,

"उपरोक्त स्टेटस रिपोर्ट के आलोक में चूंकि प्रतिवादी ऊंटों के परिवहन में सभी सावधानी बरत रहे हैं और वैधानिक प्रावधानों का भी पालन कर रहे हैं, इस न्यायालय का विचार है कि इस मामले में आगे कोई आदेश पारित करने की आवश्यकता नहीं है।"

इसमें कहा गया,

"ऊंटों के परिवहन के मामले में किसी भी विचलन को इस न्यायालय द्वारा गंभीरता से देखा जाएगा। यदि भविष्य में ऊंटों के परिवहन के दौरान एसओपी या किसी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन किया जाता है तो याचिकाकर्ता निश्चित रूप से इसे इस कोर्ट के नोटिस में लाने के लिए स्वतंत्र होगा।"

केस टाइटल: स्काउट्स एंड गाइड्स फॉर एनिमल्स एंड बर्ड्स बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य।

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