दिल्ली हाईकोर्ट ने पुलिस के साथ झगड़ा करने वाले और मास्क नहीं पहनने वाले व्यक्ति के ख़िलाफ़ एफआईआर निरस्त करने से इनकार किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने उस व्यक्ति के ख़िलाफ़ दायर एफआईआर को ख़ारिज करने से इनकार कर दिया है जिस पर पुलिस के साथ बदतमीज़ी करने और मास्क पहने बिना घूमने का आरोप है।
अदालत ने कहा कि एफआईआर निरस्त करने का कोई आधार नहीं है। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एकल पीठ ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन के प्रतिबंध लगाए हैं अगर उनका पालन नहीं किया गया तो इससे लाखों लोगों की जान जा सकती है और इसलिए इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
अदालत में सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन देकर आईपीसी की धारा 188, 186, 269, 353, 332 और 506 के तहत दर्ज मामले को निरस्त कारने की मांग की गई थी।
पृष्ठभूमि
याचिकाकर्ता हेड कांस्टेबल ऋषि कुमार को जानता है और वह इस क्षेत्र के बदनाम लोगों में शुमार है। बिना मास्क पहने वह इस क्षेत्र में घूमता पाया गया जो कि COVID-19 पर सरकार के दिशानिर्देशों के ख़िलाफ़ है।
यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता ने अपने दो अन्य साथियों सिपाही प्रवीण और राहुल की मदद से उसको पकड़ा और इस पकड़-धकड में उसकी शर्ट फट गई।
आरोप है कि याचिकाकर्ता ने सिपाही प्रवीण पर हमला किया और उसको लात मारी। इस घटना के दौरान याचिकाकर्ता का भाई उस जगह पर आया और उसने भी शिकायतकर्ता पर लात-घूंसे से हमला किया।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पुलिस जो कहानी गढ़ रही है, उसमें स्थिरता नहीं है। उन्होंने कहा कि एमएलसी रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने उसको दांत से काटा।
याचिकाकर्ता ने आरोप की पुष्टि के लिए सीसीटीवी फ़ुटेज का संज्ञान लेने की बात भी कही।
अदालत ने कहा,
"अगर याचिकाकर्ता ने सचमुच में ऐसा काम किया है तो यह समाज और आम हित के ख़िलाफ़ है। कई बार अहानिकर लगने वाले कार्य के विपत्तिपूर्ण परिणाम होते हैं…।"
प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत किसी याचिका का फैसला करते हुए, अदालत सबूतों की विस्तृत सराहना में प्रवेश नहीं कर सकती।
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