'क्या आपके अधिकारी नौकरी के दौरान सो रहे हैं?': दिल्ली हाईकोर्ट ने कंक्रीट के बिना पांच मंजिला अवैध भवन के निर्माण पर एनडीएमसी की खिंचाई की

Update: 2021-11-26 09:28 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने अधिकार क्षेत्र में अनधिकृत निर्माण को रोकने में उत्तरी दिल्ली नगर निगम की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की।

न्यायमूर्ति संजीव सचदेवा ने क्षेत्र में एक अवैध इमारत के निर्माण से व्यथित आशा जैन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से टिप्पणी की,

"क्या आपके अधिकारी अपनी नौकरी के दौरान सो रहे हैं?"

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अमित वोहरा ने बताया कि जब याचिका शुरू में वर्ष 2019 में दायर की गई थी, तब केवल डेढ़ मंजिल का निर्माण किया गया था। हालांकि, याचिका के लंबित रहने के दौरान, निर्माण पांच मंजिलों तक चला गया।

याचिकाकर्ता द्वारा रिकॉर्ड पर रखी गई तस्वीरों को देखकर कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया पूरी संरचना कंक्रीट के उपयोग के बिना बनाई गई है।

कोर्ट ने कहा,

"तस्वीरों में कोई बीम, स्तंभ या छत की योजना दिखाई नहीं दे रही है। चार मंजिला तक की संरचना और छत को लोहे के गर्डर के रूप में देखा जा सकता है।"

एनडीएमसी की ओर से पेश अधिवक्ता अक्षय वर्मा ने कहा कि इमारत कुछ निवासियों के कब्जे में है। इस प्रकार, यह दिल्ली पुलिस की सहायता के बिना कोई कार्रवाई नहीं कर सकती।

न्यायमूर्ति सचदेवा ने यह सुनकर टिप्पणी की,

"याचिका के लंबित होने के दौरान आप इमारत को चार और मंजिलों तक बनाने की अनुमति देते हैं? फिर आप कहते हैं कि आप कार्रवाई नहीं कर सकते। इसे पहले क्यों बनाया गया? क्या आपके अधिकारी सो रहे हैं? "

न्यायाधीश ने मौखिक रूप से जोड़ा,

"आप यह कहते हुए एक हलफनामा दायर करते हैं कि आपके अधिकारियों को (निर्माण के बारे में) जानकारी नहीं थी। मैं उनके निलंबन, उनके आचरण की सीबीआई जांच का निर्देश दूंगा। आप उन्हें किस लिए वेतन दे रहे हैं? उन्हें दो साल से चल रहे अवैध निर्माण की जानकारी भी नहीं है। चल क्या रहा है?"

वर्मा ने जवाब दिया कि निर्माण महामारी के दौरान हुआ, जब अधिकारी COVID-19 ड्यूटी पर थे।

हालांकि, वोहरा ने बताया कि याचिका COVID-19 के पूर्व समय के दौरान दायर की गई थी।

कोर्ट ने अब प्रतिवादी को इमारत का तुरंत निरीक्षण करने और अगली सुनवाई की तारीख यानी 20 दिसंबर से पहले संरचनात्मक स्थिरता के संबंध में एक रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

केस शीर्षक: आशा जैन बनाम एनडीएमसी और अन्य।

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