"राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के पास विचाराधीन मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं": दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी किया
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक याचिका पर नोटिस जारी किया है। याचिका में यह निर्देश देने करने की मांग की गई है कि राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को आयोग के प्रक्रिया नियमों के नियम 7.4.1 (ई) के तहत विचाराधीन मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने याचिका पर नोटिस जारी किया और मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आयोग को चार सप्ताह का समय दिया।
याचिका में यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि आयोग के पास ऐसी शिकायत पर कार्रवाई करने की शक्ति नहीं है जो आरक्षण नीति, भारत सरकार के आदेशों, राज्य सरकार के आदेशों, सार्वजनिक उपक्रमों और स्वायत्त निकायों के आदेशों या प्रक्रिया के अपने नियमों के नियम 7.4.1 (डी) और (एच) के संदर्भ में आरक्षण के किसी अन्य नियमों के उल्लंघन का आरोप नहीं लगाती है।
दिल्ली सरकार ने परिवहन विभाग के उपायुक्त के माध्यम से याचिका दायर की है।
याचिका में आयोग के समक्ष लंबित एक मामले के रिकॉर्ड को कॉल करने और उससे होने वाली सभी कार्यवाही को रद्द करने का निर्देश देने की भी प्रार्थना की गई है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता गौतम नारायण ने प्रस्तुत किया कि आयोग ने न केवल अपने अधिकार क्षेत्र से परे एक उप-न्यायिक मामले पर विचार करके काम किया है, बल्कि उक्त अधिनियम परिवहन विभाग, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली बनाम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एंड अन्य के मामले में उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश से परे है। ।
न्यायालय ने प्रस्तुतियों पर विचार करते हुए याचिका में नोटिस जारी किया।
कोर्ट ने आदेश दिया,
"अगली तारीख तक प्रतिवादी संख्या 1 के समक्ष कार्यवाही पर रोक रहेगी।"
अब इस मामले की सुनवाई 1 फरवरी 2022 को होगी।
केस का शीर्षक: उपायुक्त परिवहन विभाग के माध्यम से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार बनाम राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग एंड अन्य।