दिल्ली हाईकोर्ट ने फैज़ल फारूक को जमानत रद्द करने की दिल्ली पुलिस की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया

Update: 2020-06-23 10:16 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों के एक आरोपी फ़ैज़ल फारूक को ट्रायल कोर्ट से मिली ज़मानत के खिलाफ दायर दिल्ली पुलिस की याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया है।

दिल्ली पुलिस ने अपनी याचिका में फ़ैज़ल फारूक पर दिल्ली दंगों में भागीदारी का आरोप लगाते हुए एक मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा उसे मिली ज़मानत को रद्द करने की मांग की है।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की एकल पीठ ने प्रतिवादी को अपना जवाब दाखिल करने के लिए 4 सप्ताह का समय दिया है।

कल के आदेश में, नोटिस जारी करते हुए अदालत ने फारूक की रिहाई पर रोक लगा दी थी जब तक कि अगले आदेश पारित नहीं हो जाते।

आज, फारूक ने अदालत को सूचित किया कि 20/06/20 के आदेश में जमानत दिए जाने के बावजूद, उसे उसके खिलाफ दायर कुछ अन्य मामले में हिरासत में रखा गया है।

फारूक की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने बताया कि अदालत द्वारा पहले ही नोटिस जारी किए जाने के बाद वह विस्तृत जवाब दाखिल करना चाहते हैं और उन्हें दायर करने के लिए समय चाहिए।

20 जून को, दिल्ली की एक अदालत ने फ़ैज़ल फारूक को जमानत दे दी थी, जिसे कथित रूप से दिल्ली दंगों में संलिप्तता के लिए गिरफ्तार किया गया था, यह ध्यान देने के बाद कि उक्त दंगों के दौरान उसकी अपनी संपत्तियाँ क्षतिग्रस्त हुई थीं।

जमानत देते समय अदालत ने दिल्ली पुलिस के उस तर्क को खारिज कर दिया था जिसमें कहा गया था कि आवेदक के आतंकी संबंध हैं क्योंकि वह लगातार भारत के पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया, पिंजरा तोड़ ग्रुप के सदस्यों और जामिया मिलिया इस्लामिया के सदस्यों के संपर्क में था।

अदालत ने आगे उल्लेख किया कि यह दिखाने के लिए रिकॉर्ड पर कुछ भी नहीं है कि प्रथम दृष्टया आवेदक घटना के समय घटनास्थल पर था, जब दंगे हो रहे थे।

अदालत ने इस तथ्य पर भी ध्यान दिया था कि आवेदक द्वारा उसके स्वामित्व वाले स्कूलों को होने वाले नुकसान के खिलाफ शिकायतों पर प्राथमिकी 05 मार्च तक पुलिस द्वारा दर्ज नहीं की गई थी।

अदालत द्वारा यह कहा गया कि सीसीटीवी फुटेज उस समय घटना के दृश्य में आवेदक की उपस्थिति को प्रदर्शित नहीं करता है जब दंगे हो रहे थे।

यह मानते हुए कि घटना के 16 दिनों के बाद आवेदक के स्कूल की छत से बरामद तथाकथित सामग्री को आवेदक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

अदालत ने देखा था कि आवेदक ने खुद 24.02.2020 को 6 कॉल पुलिस को उसके स्कूल को हुए नुकसान के बारे में बताने के लिए किए थे लेकिन आईओ ने उक्त कॉल्स के पीसीआर फॉर्म जमा नहीं किए।

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