दिल्ली हाईकोर्ट ने दंगों के शिकार लोगों के शवों की डीएनए जाँच अदालत के आदेश की प्रतीक्षा के बिना शीघ्र करने के निर्देश दिए

Update: 2020-03-25 07:14 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार से कहा है कि वह कोर्ट के आदेश की प्रतीक्षा किए बिना दिल्ली दंगों में मारे गए लोगों के शवों का डीएनए जाँच शीघ्र कराए।

डीएनए जाँच के लिए अदालत की पूर्व अनुमति लेने संबंधी कोई क़ानून होने की बात ग़ौर करते हुए न्यायमूर्ति नवीन चावला की एकल पीठ ने दिल्ली सरकार से कहा कि वह अगले 15 दिनों में डीएनए जाँच की प्रक्रिया को पूरी कर ले।

यह आदेश साजिद अली नामक व्यक्ति की याचिका पर दिया गया है जिसने दावा किया है कि जो शव बरामद हुए हैं उनमें से एक उसके बेटे का है।

याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका बेटा 25 फ़रवरी 2020 को लापता हो गया और उसका जला हुआ शव दो दिन बाद मिला। 3 मार्च 2020 को शव और परिवार के लोगों का डीएनए नमूना लिया गया पर जाँच का क्या हुआ अभी तक उसे नहीं बताया गया है।

उसने अदालत से माँग की डीएनए जाँच में देरी होने से उसके लापता बेटे को ढूँढने की प्रक्रिया ख़तरे में पड़ती दिखाई दे रही है।

नौशाद अहमद खान ने दिल्ली सरकार की पैरवी करते हुए अदालत से कहा कि सरकार डीएनए जाँच के बारे में अदालत के आदेश की प्रतीक्षा कर रही है।

उन्होंने आगे कहा कि अदालत के आदेश के बाद ही इस मामले को वरीयता के आधार पर पूरा किया जा सकता है।

हालाँकि, अदालत के पूछने पर उन्होंने इस बात को माना कि अदालत से विशेश्रूप से इस तरह का आदेश प्राप्त करने की कोई ज़रूरत नहीं है।

इन दलीलों को सुनने के बाद अदलत ने डीएनए जाँच की प्रक्रिया को इस आदेश के पास होने के 15 दिनों के भीतर पूरा करने को कहा।

अदालत ने कहा कि जाँच रिपोर्ट प्राप्त होने के तुरंत बाद इस जाँच की एक प्रति याचिकाकर्ता को भेजी जाएगी। 

डीएनए जाँच के लिए अदालत की पूर्व अनुमति की ज़रूरत नहीं है, इस बात पर ग़ौर करते हुए अदालत ने कहा,

"हर मामले की तात्कालिकता को देखते हुए अदालत के किसी आदेश की प्रतीक्षा किए बिना जाँच कीजिए।"

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