लॉकडाउन : दिल्ली हाईकोर्ट ने लोन लेने वाले को उस सम्पत्ति पर अंतरिम क़ब्ज़े की अनुमति दी जिसका बैंक ने प्रतिभूतिकरण किया है
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक परिवार को देशव्यापी लॉकडाउन के कारण एक फ़्लैट के एक फ़्लोर पर अंतरिम क़ब्ज़ा क़ायम रखने की अनुमति दे दी है। इस फ़्लैट को एसएआरएफएईएसआई अधिनियम की धारा 14 के तहत आईआईएफएल होम फ़ाइनेंस लिमिटेड ने प्रतिभूतिकरण किया है।
याचिकाकर्ता को इस परिसंपत्ति के एक फ़्लोर पर रहने की अनुमति देकर न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंड लॉ और न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि वे लोग इस फ़्लैट के पहले माले पर किसी और को नहीं रखेंगे और इस परिसंपत्ति के किसी अन्य भाग पर कोई क़ब्ज़ा नहिं करेंगे जो कि प्रतिवादी के क़ब्ज़े में रहेगा।
याचिकाकर्ता ने ऋण वसूली अधिकरण के फैसले को चुनौती दी है। इस फ़ैसले में याचिकाकर्ता को इस संपत्ति के दो माले को अपने क़ब्ज़े में रखने की अनुमति दी पर कहा कि इसके लिए उसे 10 लाख रुपए का भुगतान करना होगा।
अधिकरण ने देश में COVID 19 संक्रमण के कारण पैदा हुई गंभीर स्थिति के कारण इस तरह का लचीला रुख अपनाया।
याचिकाकर्ता के वकील नीरज शर्मा ने अदालत को इस बात का लिखित आश्वासन दिया कि लॉकडाउन पूरी या आंशिक रूप से समाप्त होने के एक महीने के भीतर वह प्रतिवादी को पूरी राशि का भुगतान कर देंगे।
इस बीच याचिकाकर्ता ने याचिकाकर्ता, उसके परिवार, किरायेदार और उसके परिवार को कुछ समय के लिए इस संपत्ति पर बने रहने की अनुमति मांगी थी।
प्रतिवादी के वकील बिंदु दास ने अधिकरण के फ़ैसले का विरोध किया और कहा कि याचिकाकर्ता पहले भी भुगतान में चूक करता रहा है। उसने आगे कहा कि याचिकाकर्ता को डीआरटी ने जो छूट दी थी उसका भी वह पालन नहीं कर पाया और उसे अब और छूट नहीं दी जानी चाहिए। छह लाख की राशि में से उसने सिर्फ़ ₹3,48,000 ही प्रतिवादी को चुकाई है।
अदालत ने कहा कि दिल्ली में महामारी की स्थिति को देखते हुए यह ज़रूरी है कि याचिकाकर्ता को अपने परिवार के साथ इस मकान के पहले माले पर रहने की अनुमति दी जाए, लेकिन अदालत ने कहा कि यह सिर्फ़ अंतरिम आदेश है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता इस अवधि के दौरान इस मकान में रह रहे किराएदारों से किराया नहीं वसूलेगा।
अदालत ने याचिकाकर्ता को इस मकान के पहले माले पर रहने की अनुमति है बशर्ते कि वह पूरी या आंशिक तौर पर लॉकडाउन हटने के एक माह के भीतर इसे ख़ाली कर देगा। अवधि के पूरी होने पर वह बिना किसी रुकावट के यह पूरी प्रॉपर्टी प्रतिवादी को सौंप देगा।
अदालत ने कहा,
"अगर याचिकाकर्ता और उसकी पत्नी मनीषा कुमार और उसके तीन नाबालिग बच्चे इस आश्वासन का पालन नहीं करते हैं तो प्रतिवादी को एसएआरएफएईएसआई अधिनियम की धारा 14 के तहत याचिकाकर्ता को बेदख़ल करने के लिए सभी कदम उठाने की अनुमति होगी…।"