दिल्ली हिंसा के दौरान गिरफ़्तार पीएफआई के तीन सदस्यों को स्टेशन बेल क्यों नहीं दी, अदालत ने पुलिस से पूछा

अदालत ने ज़मानत दी और रिमांड के आवेदन को निरस्त कर दिया और कहा कि एफआईआर में जिन अपराधों का ज़िक्र किया गया है उनमें ज़मानत दिए जाने का प्रावधान है।

Update: 2020-03-14 13:02 GMT

दिल्ली की एक कोर्ट ने पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफआई) के तीन सदस्यों मोहम्मद दानिश, मोहम्मद इलयास और परवेज़ आलम को ज़मानत दे दी। इन लोगों को दिल्ली दंगों के सिलसिले में षड्यंत्र रचने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने गिरफ़्तार किया था।

तीस हज़ारी कोर्ट, नई दिल्ली के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट प्रभदीप कौर ने कहा कि पुलिस ने एफआईआर में आईपीसी की धारा 147,148,149,120B के तहत अपराधों का ज़िक्र किया था। अदालत ने जांच अधिकारी से लिखित जवाब मांगा है कि इन लोगों को स्टेशन पर ही क्यों नहीं ज़मानत दी गई।

अदालत ने कहा,

"…जांच अधिकारी से 17 मार्च 2020 तक लिखित जवाब मांगा है कि आरोपियों को ज़मानत देने में वह क्यों विफल रहा जबकि अपराध ऐसा है जिसमें स्टेशन से ज़मानत दिए जाने का संवैधानिक और प्रक्रियात्मक प्रावधान है।"

यह ग़ौर करते हुए कि दर्ज सभी अपराध में ज़मानत दी जा सकती है, और जांच में ऐसे किसी भी अपराध का ज़िक्र नहीं किया गया है जिसमें स्टेशन से ज़मानत नहीं दी जा सकती है, अदालत ने आरोपियों को ज़मानत दे दी।

फिर, अदालत ने इन आरोपियों को छह दिन के पुलिस हिरासत में भेजे जाने के आवेदन को भी ख़ारिज कर दिया।

दिल्ली पुलिस ने दानिश को 9 मार्च को इस आरोप में गिरफ़्तार किया था कि वह पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया का सदस्य है जो दिल्ली दंगे का षड्यंत्र रचने के पीछे है। अन्य दो आरोपियों को गुरुवार को गिरफ़्तार किया गया।

पुलिस ने इस आधार पर इन लोगों की हिरासत मांगी थी कि उसे इस षड्यंत्र का पर्दाफ़ाश करना है।

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