'जन गण मन'वीडियो में युवक की मौत का मामलाः दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को सीसीटीवी कैमरों की कार्यप्रणाली पर हलफनामा दायर करने को कहा

Update: 2021-02-02 12:15 GMT

23 वर्षीय फैजान की मौत के मामले में कोर्ट की निगरानी में एसआईटी जांच करवाने की मांग करने वाली एक याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह दस्तावेजों के संरक्षण और पुलिस स्टेशन में लगे सीसीटीवी कैमरों की कार्यप्रणाली के संबंध में एक हलफनामा दायर करें। गौरतबल है कि पिछले साल वायरल हुए एक वीडियो में फैजान को देखा गया था। इस वीडियो में दिल्ली दंगों के दौरान पुलिस अधिकारी जमीन पर पड़े पांच घायल लोगों को राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर कर रहे थे।

हाईकोर्ट, फैजान की माँ किसमटुन की तरफ से दायर एक रिट याचिका पर विचार कर रहा है, जो पुलिस हिरासत से रिहा होने के एक दिन बाद ही पिछले साल 26 फरवरी को मर गया था। दलील में कहा गया है कि उसने अपनी मौत से पहले की रात को उस पर हुए अत्याचार के बारे में अपनी मां को बताया था।

सोमवार (1 फरवरी) को, न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने दिल्ली पुलिस को विशेष रूप से 24 फरवरी 2020 और 25 फरवरी 2020 को पुलिस स्टेशन ज्योति नगर के सीसीटीवी कैमरों के कामकाज (कार्यप्रणाली) के बारे में एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि अगर सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे तो इस तथ्य का समर्थन करने वाले दस्तावेजों को पेश किया जाए।

न्यायालय ने पुलिस को मामले से संबंधित साक्ष्य के दस्तावेजों के संरक्षण के बारे में भी एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

याचिकाकर्ता की अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर और सौतिक बनर्जी ने पहले अदालत को बताया था कि पुलिस ने दावा किया है कि संबंधित तारीख पर पुलिस स्टेशन के सीसीटीवी कैमरे काम नहीं कर रहे थे।

पुलिस ने कथित तौर पर अदालत में एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है जिसमें कहा गया है कि वे अभी भी वीडियो में देखे गए अधिकारियों की पहचान का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं और केवल एक पुलिसकर्मी को ''संभावित आधार पर इंगित'' किया गया है।

फरवरी 2020 में, जब उत्तर पूर्वी दिल्ली सांप्रदायिक दंगों से प्रभावित था, तो उस समय एक वीडियो वायरल हुआ था,जिसमें पुलिसकर्मी पांच मुस्लिम पुरुषों को लात मारते,लाठी से पिटाई करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन पांच लोगों को घेर लिया गया था और पुलिस अधिकारियों ने उनको राष्ट्रगान गाने के लिए मजबूर किया था,जबकि वे जमीन असहाय और गंभीर रूप से घायल हालत में लेते हुए थे।

पांच पुरुषों में से एक 23 वर्षीय फैजान को 24 फरवरी को हिरासत में लिया गया था और 25 फरवरी को एक अस्थिर स्वास्थ्य स्थिति में छोड़ दिया गया था। जिसके बाद फैजान ने 26 फरवरी को एलएनजेपी अस्पताल में दम तोड़ दिया था। दलील में कहा गया है कि उसकी मौत से पहले की रात में, उसने अपनी मां को उस पर किए गए अत्याचार के बारे में बताया था।

दलील दी गई है कि घायल फैजान को ज्योति नगर पुलिस स्टेशन में अवैध हिरासत में रखा गया था और चिकित्सा देखभाल तक पहुंच से वंचित कर दिया गया था। जब उसकी स्थिति बदतर होने लगी और यह लगा कि वह जीवित नहीं बचेगा,तो उसे हिरासत से छोड़ दिया गया।

याचिका में कहा गया है कि ''उसकी मौत से पहले पुलिस स्टेशन से उसे रिहा कर देने से पुलिसकर्मियों को हिरासत में हत्या के अपराध से दोषमुक्त नहीं किया जा सकता है और याचिकाकर्ता न्याय की मांग कर रहे हैं।''

एक हत्या का मामला दर्ज होने और जांच को अपराध शाखा में स्थानांतरित किए जाने के बावजूद, याचिका में दावा किया गया है कि नौ महीने बीतने के साथ, ''अब यह स्पष्ट है कि अपराध शाखा द्वारा की गई जांच एक दिखावा है, जिसे अपराध की जांच करने के बजाय दोषी पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए डिजाइन किया गया है।''

''प्रतिवादी नंबर 2 द्वारा की गई जांच आत्मविश्वास को प्रेरित नहीं करती है और एक गंभीर और वास्तविक आशंका है कि शिथिल, घटिया और बनावटी जांच जघन्य अपराध के असली अपराधियों की ढाल बनेगी, क्योंकि वे पुलिसकर्मी हैं।''

उपरोक्त के प्रकाश में, फैजान की मां किसमटुन की ओर से दायर याचिका में फैजान की हिरासत में मौत के मामले की निष्पक्ष जांच करने के लिए कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच टीम को गठित करने और न्यायालय के समक्ष सामयिक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने की मांग की गई है। वहीं संबंधित पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों के कामकाज के बारे में प्रासंगिक सामग्री द्वारा समर्थित एक विस्तृत हलफनामा दायर करने की भी मांग की गई है।

कोर्ट ने 24 दिसंबर को याचिका पर नोटिस जारी किया था। इस मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी।

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