राजस्व लॉक-अप में मौत | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 'गैर-गंभीर' मजिस्ट्रियल जांच के खिलाफ याचिका पर यूपी सरकार को नोटिस जारी किया

Update: 2022-09-12 02:22 GMT

इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने मई 2022 में राजस्व लॉक-अप में पिता की मौत मामले में 'गैर-गंभीर' मजिस्ट्रियल जांच के खिलाफ नीरज दुबे द्वारा दायर रिट याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।

जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवन और जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ ने कहा कि जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक प्रतिवादियों का आचरण एक तरफ प्रथम दृष्टया घोर कदाचार और कर्तव्य की अवहेलना प्रतीत होता है और दूसरी ओर सत्ता का दुरूपयोग। साथ ही यह कानून के शासन को प्रभावित कर रहा है।

पूरा मामला

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (शाखा-रॉबर्स्टगंज, जिला सोनभद्र) द्वारा मृतक (सुधाकर प्रसाद दुबे) के खिलाफ 10 लाख रुपये के लिए अग्रेषित वसूली प्रमाण पत्र जारी किया गया था, जो सुश्री दुबे इलेक्ट्रॉनिक्स, कस्बा के मालिक थे।

मृतक दुबे को 12 मई, 2022 को संग्रह अमीन और तहसीलदार द्वारा गिरफ्तार किया गया था और 19 मई, 2022 को उनकी मृत्यु होने तक उन्हें राजस्व लॉक-अप रॉबर्ट्सगंज में रखा गया था।

इसके बाद जिलाधिकारी सोनभद्र ने प्रमोद कुमार तिवारी, अनुमंडल दंडाधिकारी (मुख्यालय) सोनभद्र को हिरासत में मौत के कारणों का पता लगाने के लिए जांच करने का निर्देश दिया।

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी जांच के बारे में पूरी तरह से गैर-गंभीर हैं और वास्तव में पूरे मामले को देरी और दबाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ता ने उप मंडल मजिस्ट्रेट (मुख्यालय) सोनभद्र, प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, पुलिस महानिदेशक, लखनऊ एवं पुलिस अधीक्षक सोनभद्र ने शपथ पत्र का समर्थन किया।

उपरोक्त अभ्यावेदन के बाद एक अन्य अभ्यावेदन दिनांक 15.06.2022 को उपमंडल मजिस्ट्रेट (मुख्यालय) सोनभद्र को और एक अभ्यावेदन दिनांक 20.06.2022 को जिला मजिस्ट्रेट, सोनभद्र को दिया गया। उक्त अभ्यावेदन के बावजूद, न तो जांच की गई और न ही प्रतिवादियों द्वारा दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ या हिरासत में मौत के मुआवजे के भुगतान के लिए कोई कार्रवाई की गई।

बाद में मामले की जांच के लिए एक अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक) को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि एडीएम (न्यायिक) ने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

इसलिए, याचिकाकर्ता (नीरज दुबे) ने तत्काल याचिका दायर कर नामित अधिकारी/अपर जिला मजिस्ट्रेट (न्यायिक) सोनभद्र को अपने पिता की हिरासत में मौत के संबंध में निष्पक्ष जांच करने का निर्देश देने की मांग की। उन्होंने इस संबंध में मुआवजे की भी मांग की है।

कोर्ट की टिप्पणियां

कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत अभ्यावेदन, रिट याचिका और अन्य सामग्रियों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि न केवल प्रतिवादियों की घोर लापरवाही और अवैध कृत्यों का उल्लेख किया गया है, बल्कि उक्त सुधाकर प्रसाद दुबे की हिरासत में मौत के लिए प्रथम दृष्टया जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ जांच और कार्रवाई के प्रति संवेदनशीलता का पूर्ण अभाव है।

कोर्ट ने यह भी नोट किया कि जिस जिले में मृतक को रखा गया था, उसके तहसील या मुख्यालय में राजस्व लॉक-अप में आवश्यक बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं।

कोर्ट ने आगे टिप्पणी की,

"वर्तमान मामले के तथ्य प्रथम दृष्टया भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन दिखाते हैं। 3 महीने से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के अधिकारियों ने उनके प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं दिखाई है। प्रथम दृष्टया प्रतिवादियों के ऐसे आचरण से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है ताकि कानून का शासन कायम हो सके। प्रथम दृष्टया, ऐसा प्रतीत होता है कि जिले की तहसील या मुख्यालय स्तर पर राजस्व लॉक-अप की मौजूदा स्थिति है राज्य सरकार द्वारा समयबद्ध अवधि के भीतर उपचारात्मक कदम उठाए जाने की आवश्यकता है ताकि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए ऐसे लॉक-अप में बुनियादी सुविधाएं प्रदान की जा सकें और दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा तत्काल कार्रवाई की जा सके।"

नतीजतन, अदालत ने प्रतिवादियों को प्रतिवादी संख्या के व्यक्तिगत हलफनामे के माध्यम से जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। जिसमें उन्हें न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों के आलोक में कारण बताने के लिए कहा गया है।

इसके साथ ही मामले को अब आगे की सुनवाई के लिए 12 सितंबर 2022 को पोस्ट कर दिया गया है।

केस टाइटल - नीरज दुबे बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और 5 अन्य [WRIT - C No. - 26299 of 2022]

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