[COVID-19] 'यह सुनिश्चित करने के लिए विवेकपूर्ण कदम उठाया जाए कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी रोगी की जान नहीं जाएगी': छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सरकार से कहा

Update: 2021-04-26 12:50 GMT

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सोमवार को COVID-19 महामारी की दूसरी लहर और बुनियादी चिकित्सकीय ढांचे की कमी से संबंधित स्वत: संज्ञान मामले में राज्य सरकार को निर्देश दिया कि,

"अभी तक के लिए और भविष्य की आवश्यकता के अनुसार ऑक्सीजन की आपूर्ति / उपलब्धता के रूप में स्थिति का जायजा लेने के लिए सभी संबंधितों की एक बैठक बुलाई जाए। यह सुनिश्चित करने के लिए विवेकपूर्ण कदम उठाया जाए कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी भी COVID19 रोगी की जान नहीं जाएगी।"

मुख्य न्यायाधीश पी. आर. रामचंद्र मेनन और न्यायमूर्ति पार्थ प्रतिमा साहू की खंडपीठ ने राज्य को निर्देश दिया कि यदि ऑक्सीजन की कमी होने की संभावना है तो थोड़ी देर के लिए औद्योगिक के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति को रोकने या कम करने के लिए तत्काल व्यवस्था की जाए।

कोर्ट ने आगे कहा कि,

"इस समय औद्योगिक क्षेत्र के समर्थन को बढ़ाया जाना आवश्यक है। इसे सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) के निर्वहन में उनके 'मिशन' के हिस्से के रूप में लिया जाना चाहिए।"

कोर्ट की कार्यवाही

जब बिलासपुर के सीआईएमएस में रोगियों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की झूठी तस्वीरों के संदर्भ में स्पष्टीकरण मांगा गया तो एडवोकेट जनरल ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट गलत है और यह सही तस्वीर नहीं है।

इसके अलावा यह प्रस्तुत किया गया कि सभी संबंधितों को प्रभावी उपचार दिया जा रहा है और यह व्यवस्था की गई है कि जो मरीज आउट-पेशेंट डिपार्टमेंट में अस्पताल में आते हैं और उनकी हालत सही नहीं है तो उन्हें भी ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है।

राज्य सरकार ने यह भी प्रस्तुत किया कि मौजूदा सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं और राज्य में पर्याप्त मात्रा में बेड की क्षमता / ऑक्सीजन युक्त बेड क्षमता की सुविधा दी गई है (सरकारी और निजी अस्पतालों दोनों की भागीदारी के साथ)।

यह भी कहा गया कि रेलवे के किसी भी विशेष चिकित्सकीय कोच की आवश्यकता के बिना भी स्थिति से निपटा जा सकता है क्योंकि विभिन्न 6 स्थानों पर कई अस्पतालों में बेड (ऑक्सीजन और गैर-ऑक्सीजन दोनों) खाली पड़े हैं।

इसके अलावा यह भी प्रस्तुत किया गया कि डॉक्टरों को रोगी की स्थिति पर विचार करने के बाद यह तय करना होगा कि अस्पताल में भर्ती करना आवश्यक है या नहीं और जो रोगी ऐसी स्थिति / गंभीर स्थिति में हैं उन्हें अस्पतालों में भर्ती कराया जाएगा।

राज्य ने अदालत को यह भी आश्वासन दिया कि युद्धस्तर पर कदम उठाए जा रहे हैं और बुनियादी सुविधाएं मार्च 2020 में मौजूद स्थिति से कई गुना बढ़ा दी गई हैं।

दूसरी ओर भारत सरकार ने न्यायालय को आश्वासन दिया कि चिकित्सा / बुनियादी ढांचा / ऑक्सीजन आपूर्ति / टेस्टिंग किट इत्यादि के माध्यम से राज्य को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सभी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।

कोर्ट का अवलोकन

कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि COVID-19 रोगियों के उपचार के लिए रेलवे के विशेष चिकित्सकीय कोच उपलब्ध कराने / लेने के लिए रेलवे या राज्य को कोई निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है।

कोर्ट ने यह रिकॉर्ड किया कि आवश्यक होने पर राज्य के नोडल अधिकारी को रेलवे के नोडल अधिकारी से संपर्क करना होगा और विशेष आवंटन और चिकित्सकीय कोच के लिए मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देश और एसओपी के संदर्भ में आवश्यक व्यवस्था करेगा।

टेस्टिंग क्षमता

राज्य सरकार को RT-PCR टेस्ट को इष्टतम स्तर तक बढ़ाने के लिए निर्देशित किया गया ताकि यह प्रभावी रूप से COVID-19 का इलाज हो सके और कोविड चैन को तोड़ा जा सके।

एमिकस ने प्रस्तुत किया कि RT-PCR टेस्ट रिपोर्ट देरी से आ रही हैं। इस पर न्यायालय ने महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि, "यह एक गंभीर पहलू है। अधिक से अधिक RT-PCR टेस्ट करने की जरूरत है और समय पर इस रिपोर्ट को दिया जाए। यह रोग के प्रसार को रोकने के लिए बहुत आवश्यक है क्योंकि विशेषज्ञों द्वारा टेस्टिंग पर बार-बार जोर दिया जा रहा है।"

कोर्ट ने राज्य सरकार को निम्नलिखित निर्देश भी दिए;

1. RT-PCR टेस्ट के लिए अधिक से अधिक बुनियादी ढांचा और अधिक टेस्ट सेंटर उपलब्ध कराना और बिना देरी के टेस्ट रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराना और साथ ही सभी केंद्रों पर पर्याप्त स्टाफ और उपकरण उपलब्ध कराना जरूरी है।

2. प्रतिवादी-राज्य / प्राधिकरण / टेस्ट सेंटर को संबंधित व्यक्ति को टेस्ट रिपोर्ट देने के लिए आईसीएमआर के सर्वर पर अपलोड होने का इंतजार नहीं करना चाहिए बल्कि टेस्ट रिजल्ट तुरंत सौंप देना चाहिए।

3. संबंधित व्यक्ति को व्हाट्सएप, ई-मेल आदि जैसे उचित माध्यमों से टेस्ट रिजल्ट सौंपा जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि बिना किसी देरी के सही समय पर आईसीएमआर के सर्वर पर अपलोड किया जाएगा।

केंद्रीकृत नेटवर्क

कोर्ट ने यह भी कहा कि जब भी जरूरत हो उचित प्रबंधन और रोगियों के प्रवेश के लिए राज्य में विभिन्न जिलों में स्थित निजी अस्पतालों सहित विभिन्न अस्पतालों में खाली बेड की स्थिति का पता लगाने के लिए एक 'केंद्रीकृत नेटवर्क' आवश्यक है।

न्यायालय ने टिप्पणी की कि,

"एक ऐसी प्रणाली विकसित की जानी चाहिए जिससे विभिन्न जिलों के विभिन्न सीएमएचओ एक-दूसरे के साथ जुड़े रहें और रायपुर में स्वास्थ्य विभाग के नोडल अधिकारी / निदेशक / सचिव द्वारा इसकी निगरानी की जाए।"

कोर्ट उक्त परिस्थिति में राज्य सरकार को निर्देश दिया;

1. रायपुर में मुख्यालय के रूप में एक 'केंद्रीकृत नेटवर्क' की स्थापना की जाए और राज्य के विभिन्न जिलों के सभी सीएमएचओ से इसे कनेक्ट करें; अगर पहले से नहीं किया है।

2. एक बार इस तरह की व्यवस्था शुरू हो जाने के बाद इसे आम जनता तक पहुंचाना होगा ताकि जनता / रोगियों की चिंता को काफी प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सके और उन सभी लोगों तक आवश्यक मदद पहुंचाई जा सके जिन्हें समय पर मदद की जरूरत है।

3. सीएमएचओ और जिला कलेक्टरों / जिला मजिस्ट्रेटों के बीच नेटवर्किंग को प्रभावी बनाने में और सभी प्रकार से आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए प्रभावी सहयोग और समन्वय स्थापित करने में उपयोगी होगा।

शुल्क का निर्धारण

कोर्ट ने राज्य को निजी अस्पतालों में COVID-19 उपचार के संबंध में शुल्क तय करने पर भी विचार करने और अधिसूचित करने का निर्देश दिया ताकि लोगों का शोषण होने से बचाया जा सके।

केस शीर्षक: स्वत: संज्ञान जनहित याचिका बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और अन्य

आदेश की कॉपी यहां पढ़ें:



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