कोर्ट सिक्योरिटी: दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी हितधारकों को 29 अक्टूबर तक सुझाव दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया

Update: 2021-10-25 12:08 GMT

दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी संबंधित पक्षों से 29 अक्टूबर तक राष्ट्रीय राजधानी में अदालत परिसरों में सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिए अपने सुझाव दाखिल करने को कहा।

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की खंडपीठ ने मामले को आठ नवंबर को आदेश के लिए पोस्ट करते हुए स्पष्ट किया कि सुझाव दाखिल करने के लिए और समय नहीं दिया जाएगा।

पिछले महीने रोहिणी जिला न्यायालय में गोलीबारी की घटना के बाद अदालत परिसर में सुरक्षा के लिए मामला दर्ज किया गया था।

मुख्य न्यायाधीश ने पहले कहा,

"यह एक गंभीर मामला है और इस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।"

तदनुसार, दिल्ली पुलिस, दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मामले में अपना जवाब दाखिल किया। उनके सुझाव यहां पढ़े जा सकते हैं।

सोमवार को दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए एएसजी चेतन शर्मा ने कहा कि एजेंसी ने सुरक्षा उपायों में सुधार के लिए कुछ महत्वपूर्ण और ठोस कदम उठाए हैं।

सभी सात अदालतों में सुरक्षा ऑडिट करने के बाद एएसजी शर्मा ने दिल्ली पुलिस द्वारा उठाए गए निम्नलिखित कदमों के बारे में बताया:

1. सुरक्षा प्रबंध के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा जारी स्थायी आदेश;

2. विभिन्न न्यायालयों में स्थापित 85 डोर मेटल्स;

3. सभी सात अदालतों में लगाए गए 125 हैंड-हेल्ड डिटेक्टर;

4. प्रत्येक न्यायालय में फिजिकल जांच पॉइंट कवर और सिक्योरिटी;

5. पर्याप्त स्कैनर एक्स-रे मशीन की खरीद के लिए निविदा जारी की,

6. मौजूदा निष्क्रिय स्कैनरों की मरम्मत की गई;

7. अर्धसैनिक सहायता के साथ पर्याप्त जनशक्ति तैनात;

8. सभी अदालतों के लिए विशेष रूप से प्रभारी निरीक्षक, डीसीपी आदि की तैनाती;

9. 2,300 सीसीटीवी लगाए और 300 पुलिस कर्मी तैनात किए गए।

एएसजी शर्मा ने हालांकि कहा कि क्लाइंट पार्किंग अभी भी एक मुद्दा है।

पीठ को यह भी बताया गया कि साकेत क्षेत्र के निवासी रात और सुबह के समय कोर्ट की भूमिगत पार्किंग का इस्तेमाल करते हैं, जिससे सुरक्षा में चूक हो सकती है।

दिल्ली बार एसोसिएशन (तीस हजारी) की ओर से सुझाव दाखिल करने के लिए और समय की मांग करने वाले अधिवक्ता केसी मित्तल के अनुरोध के बाद कोर्ट ने अब सभी हितधारकों को अपना जवाब दाखिल करने का अंतिम अवसर दिया।

Case Title: Court on its own motion v. Commissioner of Police & Ors.

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