अनिल देशमुख के खिलाफ एफआईआर: महाराष्ट्र सरकार ने सीबीआई द्वारा मुख्य सचिव और डीजीपी को समन जारी करने के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया
महाराष्ट्र सरकार ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय पांडे को राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार की प्राथमिकी के संबंध में जारी समन को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
मुंबई पुलिस द्वारा सीबीआई निदेशक सुबोध जायसवाल को बीकेसी साइबर पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहने के बाद सीबीआई ने हाल ही में कुंटे और पांडे को तीसरी बार तलब किया।
जस्टिस नितिन जामदार और जस्टिस सारंग कोतवाल की खंडपीठ ने बुधवार को मामले को 20 अक्टूबर को सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
राज्य के खुफिया विभाग की तत्कालीन प्रमुख आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा तैयार की गई विवादित फोन टैपिंग रिपोर्ट के लीक होने की जांच साइबर पुलिस कर रही है।
सीबीआई की भ्रष्टाचार की प्राथमिकी मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र पर आधारित है।
पत्र में आरोप लगाया गया है कि देशमुख ने बर्खास्त सिपाही सचिन वाजे और दो अन्य अधिकारियों को उनके लिए हर महीने बार मालिकों से अवैध रूप से 100 करोड़ रुपये वसूलने के लिए कहा था।
सिंह ने देशमुख पर पुलिस तबादलों में राजनीतिक प्रभाव का भी आरोप लगाया।
सीबीआई ने शुरू में पांच अप्रैल को चार याचिकाओं पर बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेशों के आधार पर प्रारंभिक जांच की थी।
पुलिस इंस्पेक्टर के अनुसार, सीबीआई ने देशमुख के खिलाफ 21 अप्रैल को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 और 13 के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी।